आमला ब्लॉक के ग्राम अंधारिया के किसानों ने बिना मिट्टी के पानी में उगाई टमाटर ,मिर्ची ,धनिया, पालक, की फसल लगाई,भारत कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकांश आबादी खेती-बाड़ी से ही अपना गुजारा चलाती है, लेकिन बदलते समय और बढ़ती तकनीकों के साथ अब खेती के भी नए रूप देखने को मिल रहे हैं. आजकल हाइड्रोपोनिक फार्मिंग से किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इसके लिए न तो मिट्टी की जरूरत है और ना ही जमीन की. जल संवर्धन या हाईड्रोपोनिक्स एक ऐसी तकनीक है, जिसमें फसलों को बिना खेत में लगाए केवल पानी और पोषक तत्वों से उगाया जाता है। इसे ‘जलीय कृषि’ भी कहते हैं।हाईड्रोपोनिक्स खेती कर रहे ,
अंधारिया के हरिओम झाड़े , भुवन झाड़े , भूपेंद्र धाकड़, संदीप चौहान ,ने बताया की हमारे द्वारा अभी टमाटर ,मिर्ची पालक ,धनिया, की फसल लगाई , इसके बाद अभी हम लोग ,स्ट्रॉबेरी और चेरी लगाएंगे , हरिओम झाड़े ने बताया फसल उगाने की यह तकनीक पर्यावरण के लिए काफी सही होती है। इन पौधों के लिए कम पानी की जरूरत होती है, जिससे पानी की बचत होती है। कीटनाशकों के भी काफी कम आवश्यकता होती है। मिट्टी में पैदा होने वाले पौधों तथा इस तकनीक से उगाए जाने वाले पौधों की पैदावार में काफी अंतर होता है। हाइड्रोपोनिक तकनीक में किसी भी प्रकार की कीटनाशक का प्रयोग नहीं होता हाइड्रोपोनिक तकनीक में किसी भी सब्जी की पैदावार
भूमिगत खेती के मुकाबले आमतौर पर फसल 3 से 4 माह तक चलती है लेकिन इस तकनीक में फसल लगभग 6 से 7 माह तक चल जाती है यूनिट में आद्रता ऑटोमेटिक कंट्रोल होती है , हाइड्रोपोनिक खेती में तापमान 15-30 डिग्री के बीच रखा जाता है और आद्रता को 80 -85 फ़ीसदी रखा जाता है पौधों को पोषक तत्व भी पानी के जरिए ही दिया जाता है यह खेती पाइपों के जरिए होती है इनके ऊपर की तरफ छेद किए जाते हैं इन्हीं छेदो में पौधे लगाए जाते हैं, पाइप में पानी होता है, और पौधों की जड़ उसी पानी में डूबी रहती है इस पानी में उन सभी पोषक तत्वों को घोला जाता है जिसकी पौधों को जरूरत होती है,
पार्षद के प्रयासों से जगमगाया बाजारढाना वार्ड 13