प्राकृतिक चिकित्सा दिवस: स्वस्थ जीवन की ओर एक नई पहल डॉ. नवीन वागद्रे
प्राकृतिक चिकित्सा दिवस हर साल 18 नवंबर को मनाया जाता है, जो महात्मा गांधी की प्रकृति के प्रति गहरी श्रद्धा और स्वास्थ्य के प्रति उनकी अद्वितीय दृष्टिकोण का प्रतीक है। यह दिन हमें प्राकृतिक चिकित्सा के अद्भुत लाभों और उसकी ताकत से अवगत कराने के लिए समर्पित है, विशेष रूप से आज के इस समय में जब जीवनशैली से संबंधित बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं। प्राकृतिक चिकित्सा, जिसे नैचुरोपैथी कहा जाता है, आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से बिल्कुल अलग है। इसमें किसी प्रकार की दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता, बल्कि प्रकृति के पंच तत्व—मिट्टी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—के माध्यम से उपचार किया जाता है। इसमें योग, प्राणायाम, जल और मिट्टी चिकित्सा, उपवास और संतुलित आहार जैसी शक्तिशाली विधियाँ शामिल हैं, जो शरीर की प्राकृतिक उपचार क्षमता को जागृत करती हैं और हमें पूर्ण संतुलन की ओर मार्गदर्शन करती हैं।
प्राचीन काल में ऋषि-मुनि नदियों के किनारे और घने जंगलों में आश्रम बनाकर रहते थे। वे मिट्टी की कुटिया में रहते, शुद्ध जल पीते, प्राचीन आहार का सेवन करते और नियमित रूप से योग और ध्यान करते थे। उनके जीवन की यह साधारण, लेकिन समृद्ध जीवनशैली हमें यह सिखाती है कि जब हम प्रकृति के साथ मेल-जोल बढ़ाते हैं, तो शरीर और मन में अपार ऊर्जा और स्वास्थ्य का संचार होता है। वे शारीरिक और मानसिक रूप से इतने स्वस्थ थे कि 100 वर्षों तक सक्रिय रूप से जीवन जीते थे, जो आज के समय में हमारे लिए एक प्रेरणा है।
आज के समय में, जबकि एलोपैथी त्वरित राहत तो प्रदान करती है, लेकिन अक्सर दवाओं के साइड इफेक्ट्स के कारण शरीर पर प्रतिकूल असर डालती है, वहीं नैचुरोपैथी बीमारी के जड़ से समाधान पर जोर देती है। यह शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखकर रोगों से बचने की कला है। इस पद्धति में न केवल शरीर को बीमारी से मुक्त किया जाता है, बल्कि उसकी आत्मनिर्भरता को भी बढ़ाया जाता है, जिससे भविष्य में रोगों का पुनरावृत्ति कम हो जाती है।
प्राकृतिक चिकित्सा दिवस हमें यह याद दिलाने का एक अद्वितीय अवसर है कि स्वास्थ्य केवल बीमारी के इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे समग्र जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने का साधन है। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, मानसिक शांति और सकारात्मक दृष्टिकोण के माध्यम से हम न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति भी प्राप्त कर सकते हैं।
इस दिन हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपनी जीवनशैली में प्राकृतिक चिकित्सा के शक्तिशाली उपायों को अपनाएँ। यह न केवल हमें बल्कि हमारे आने वाली पीढ़ियों को भी एक स्वस्थ और खुशहाल भविष्य प्रदान करने में सहायक होगा। प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर, हम एक समृद्ध और दीर्घायु जीवन जी सकते हैं, जो न केवल हम, बल्कि पूरा समाज भी सुखमय और स्वस्थ रहेगा।
“प्राकृतिक चिकित्सा सिर्फ एक उपचार पद्धति नहीं है; यह एक जीवनशैली है, जो हमें अपने भीतर की शक्तियों को पहचानने और प्रकृति के साथ गहरी साझेदारी स्थापित करने का मार्ग दिखाती है।”
आइए, इस प्राकृतिक चिकित्सा दिवस पर हम सभी मिलकर एक स्वस्थ और ऊर्जा से भरपूर जीवन की ओर कदम बढ़ाएँ।