हनुमान बाल उघान पंचवटी मे श्रीराम के वनवास के प्रमुख दृश्यो का संजीव चित्रण

प्रमोद सूर्यवंशी

रमणीय स्थल के रूप मे नगर का एक मात्र स्थान हनुमान बाल उघान पंचवटी

हनुमान बाल उघान पंचवटी मे श्रीराम के वनवास के प्रमुख दृश्यो का संजीव चित्रण

आमला। आमला नगर के बस स्टैंड से 2 किलोमीटर उत्तर दिशा मे माँ चंद्रभागा नदी के किनारे पर लगभग एक एकड़ भूमि पर बनाया हनुमान बाल उघान पंचवटी के नाम से पुकारा व पहचाना जाता है। इस स्थान पर हनुमान जी की विशाल प्रतिमा जो संजीवनी बूटी का पहाड़़ ले जाते हुऐ है जिसकी उंचाई करीब इक्कीस फीट है। इसका निर्माण वर्ष 1984 मे पूरा हुआ था।

वर्ष 1970 मे चंदा एकत्रित कर किया था निर्माण कार्य शुरु

नगर के पंचवटी हनुमान मंदिर में भगवान के राम के वनवास पर जाने का चित्रण किया गया है। यह मंदिर राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिक्षक स्व. मोतीलाल पांडे ने लगभग एक एकड़ भूमि पर बनाया है। जो हनुमान बाल उघान के नाम पर रजिस्टर्ड है। इस उघान में भगवान श्रीराम के वन जाने के दौरान के पात्रों की प्रतिमा भी बनाई गई है। रामायण के विभित्र पात्रों को शिक्षक मोतीलाल के मार्गदर्शन मे बनाया गया है।

आमला नगर सहित आसपास क्षेत्रो मे पहचान बनाने मे हनुमान बाल उघान परिसर का अपना अलग ही महत्व है। इस सुंदरतम स्थान में रामायण के विभिन्न पात्र मूर्तिरूप में सुशोभित है। जिसमें संजीवनी बूटी वाला पर्वत उठाए 21 फीट के हनुमान की विशाल प्रतिमा, वन जाते राम, सीता और लक्ष्मण की प्रतिमा, माता शबरी से बेर खाते राम, सुरसा के मुंह में खड़े हनुमान, लक्ष्मण रेखा खीचते लक्ष्मण दृश्य को जीवंत करती सीता की प्रतिमा, बाली वध के बाद विलाप करते उसके परिजनों सहित राम लक्ष्मण, सुग्रीव की प्रतिमा, मारीच वध, रामसेतू निर्माण के लिये शिव की पूजा करते राम लक्ष्मण, हनुमान अशोक वाटिका मे माता सीता को कंगन दिखाकर अपनी पहचान बताते हुऐ, हनुमान पाताल से अपने कंधो पर बैठाते हुऐ राम लक्ष्मण, मैहर वाली माँ शारदा मैय्या, काली माता, भरत-मिलाप आदि का संजीव चित्रण किया गया है

हनुमान जयंती पर लगता विशाल मेला, सुंदरकांड व भंडारे सहित अनेकों कार्यक्रमो का आयोजन

हनुमान बाल उघान पंचवटी अपने आकर्षण के लिए पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध है, महेश साहू ने बताया कि जब उघान परिसर मे वर्ष 1984 को निर्माण पूर्ण हो गया था तब नगर के नंदलाल साहू व साहू परिवार के द्वारा यहांँ हनुमान जयंती पर भव्य सुंदरकांड का सीताराम कीर्तन हवन पूजन का आयोजन व भंडारा किया गया था जो सन् 1984 से लेकर लगातार आज तक साहु परिवार के द्वारा आयोजन किया जा रहा है। आज हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर साहू परिवार द्वारा निस्वार्थ भाव से हवन पूजन, सुंदरकांड पाठ, शाम से रात्री तक भंजन संध्या का आयोजन व विशाल भंडारे का कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा।
पहले यहाँ मेले का स्वरूप विशाल हुआ करता था लेकिन समय के साथ अब मेला भी छोटा हो गया है। इसे हमे आने वाली नई पीढियों को अवगत करवाना अतिआवश्यक है।

नगरपालिका के प्रयास से सवार सकते है उघान परिसर की तस्वीर

हनुमान बाल उघान नगर मे एक बहुत ही रमणीय व सुंदर क्षेत्र है नगर के प्रबुद्धजनो का कहना है कि इस परिसर की तरफ अगर नगरपालिका ध्यान दे तो इस परिसर को ओर अच्छा बनाया जा सकता है। इसमे लोगो का खीचावं अपनेआप बढ़ सकता है यहाँ पर सुविधाओं की कमी है जैसे पीने का पानी, लाईटिंग, बैठने के लिऐ सींमेट की बैंचे, परिसर क्षेत्र के चारो ओर बाउंर्डीवाल, सुलभ शौचालय, व्यवस्थित पेड पौधे पार्क इत्यादि नगरपालिका प्रयास करे तो इस स्थान की भव्यता और बढ़ाई जा सकती है। अगर भविष्य मे इन सुविधाओं में वृद्धि की जाए तो यहां आने वाले श्रृद्धालुओं की संख्या बढ़ सकती है।

चौदह साल में बनकर तैयार हुआ मंदिर

इस हनुमान बाल उघान परिसर मे मंदिर का निर्माण कार्य 1970 में शुरू हुआ था, जो 1984 में पूर्ण हुआ। स्वर्गीय शिक्षक के पुत्र विपिन पांडे ने बताया उनके पिता शिक्षण कार्य के बाद बचने वाले समय में मूर्ति बनाने पहुंँच जाते थे। उन्होंने इन सभी भव्य मूर्तियों का निर्माण किया। वर्ष 1979 में वे सेवानिवृत्त हो गए। निर्माण के चार दशक बाद भी मूर्तियों का आकर्षण जस का तस बना हुआ है।

जिसके वर्षभर के रखरखाव पर खर्चे का वहन निस्वार्थ भाव से साहु परिवार ही करता है। पुजारी की आय मंदिर मे भक्तो द्वारा चढाये गये दान से पूर्ति होती है।

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