गीता जयंती 11 दिसंबर श्रीमद्भागवत गीता: आधुनिक जीवन के लिए अमूल्य मार्गदर्शक

गीता जयंती 11 दिसंबर
श्रीमद्भागवत गीता: आधुनिक जीवन के लिए अमूल्य मार्गदर्शक

लेखक – डॉ नवीन वागद्रे

श्रीमद्भागवत गीता, अपने 18 अध्यायों और 700 श्लोकों के माध्यम से, न केवल आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती है बल्कि आधुनिक जीवन की समस्याओं और संघर्षों के समाधान का रास्ता भी दिखाती है। यह ग्रंथ आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना हजारों वर्ष पहले था। आज के दौर में जब व्यक्ति निजी और पेशेवर जीवन में संतुलन बनाने के संघर्ष में उलझा हुआ है, गीता का “अर्जुन विषाद योग” प्रेरणा का स्रोत बनता है।

महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने जब कर्तव्य और संबंधों के बीच संघर्ष महसूस किया, तब श्रीकृष्ण ने उसे समझाया कि मन की शांति और लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निष्काम कर्म (फल की इच्छा के बिना कर्म) ही श्रेष्ठ मार्ग है। यह संदेश आज हर उस व्यक्ति के लिए उपयोगी है, जो रिश्तों, करियर, और जिम्मेदारियों के बीच सही संतुलन की तलाश में है। आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में सफलता की दौड़ और असफलता का डर लोगों को मानसिक तनाव और अवसाद की ओर ले जा रहा है। गीता का संदेश है कि कर्म करते रहो, लेकिन परिणाम की चिंता मत करो। यह विचारधारा हमें सिखाती है कि कैसे बिना दबाव और तनाव के अपने काम को पूरे मनोयोग से करें। जब हम निष्काम कर्म की भावना अपनाते हैं, तो न केवल हमारा प्रदर्शन बेहतर होता है, बल्कि हम मानसिक शांति और संतोष भी पाते हैं। गीता के “संख्य योग” में आत्मा की अमरता का ज्ञान दिया गया है, जो यह सिखाता है कि जीवन केवल शरीर तक सीमित नहीं है। आधुनिक जीवन में, जहां भौतिक चीजों की अधिकता है, यह संदेश हमें आंतरिक शांति और स्थिरता की ओर ले जाता है। यह हमें भौतिकता के पीछे भागने के बजाय आत्मा और आत्मज्ञान की ओर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा देता

है। आज के समय में, जब तनाव और जीवनशैली संबंधी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, गीता में बताए गए “योग” मार्ग, जैसे ध्यान योग, भक्ति योग और कर्म योग, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आदर्श समाधान हैं। ये योग न केवल हमें जीवन में संतुलन सिखाते हैं, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करते हैं। गीता सिखाती है कि सच्ची सफलता न केवल भौतिक उपलब्धियों में है, बल्कि आत्मिक संतोष और मानसिक शांति में है। गीता का यह ज्ञान हमें अपने जीवन के लक्ष्यों को स्पष्ट करने और उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। आधुनिक युवा, जो अक्सर करियर, रिश्तों, और सामाजिक दबावों में उलझे रहते हैं, गीता से प्रेरणा लेकर अपने जीवन को दिशा दे सकते हैं। श्रीकृष्ण का यह संदेश कि “सफलता केवल मेहनत और निष्ठा से मिलती है, फल की इच्छा से नहीं,” हर युवा को सच्चे अर्थों में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करता है। गीता के विचारों को अपनाकर, हम जीवन के हर मोड़ पर स्पष्टता और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकते हैं। यह ग्रंथ हमें सिखाता है कि कैसे हम भौतिक और आध्यात्मिक संतुलन

बनाकर जीवन को न केवल जीएं, बल्कि उसे सार्थक बनाएं।श्रीमद्भागवत गीता आधुनिक जीवन के हर संघर्ष का समाधान और हर प्रश्न का उत्तर है। यह हमें सिखाती है कि सही मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को सफलता और शांति दोनों ही मिलती हैं। गीता के इस अनमोल ज्ञान को अपने जीवन में अपनाकर हम न केवल बेहतर इंसान बन सकते हैं, बल्कि समाज और विश्व के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं।

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