घोड़ाडोंगरी नगर मैं एक ऐसा शख्स भी रहता है जो कड़ी मेहनत करके अपने बगीचे में बड़े-बड़े फल तो उगाता है लेकिन उन्हें बेचने की बजाय लोगों में बांट देता है ।
आज हम बात कर रहे हैं घोड़ाडोंगरी नगर परिषद के बजरंग कॉलोनी में रहने वाले वामनराव टाकरकर की जिनके बगीचे में लगे कटहल देखकर लोग अचंभित रह जाते हैं।देखे वीडियो
वामनराव टाकरकर ने बताया कि उन्होंने 1995 में कटहल के पौधे लगाए थे जो अब पेड़ बनकर हजार की संख्या में फल दे रहे हैं और इन फलों को वह लोगों को बेचते नहीं हैं बल्कि बांट देते हैं।
वामनराव टाकरकर बताते हैं कि आज अधिक उत्पादन के लालच में लोग पेड़ पौधों में रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं । लेकिन वे केवल गोबर की खाद का उपयोग अपने बगीचे में करते हैं और उत्पादन ऐसा मिलता है की रासायनिक खादों से मिलने वाले उत्पादन को भी काफी पीछे छोड़ देता है। उनके बगीचे में फिलहाल कटहल के दो पेड़ों में फल लगे हैं जो जमीन को छू रहे हैं तो पेड़ों की ऊंचाइयों तक पेड़ में फल लगे हुए हैं। कटहल के पेड़ में लगे इन फलों को देखकर लोग अचंभित रह जाते हैं और उनसे उसने अधिक उत्पादन का राज भी पूछते हैं तो वह क्षेत्र के किसानों और अन्य लोगों को भी इतने अधिक उत्पादन का ट्रिक भी बताते हैं कि किस तरह अच्छी देखभाल से बिना रासायनिक खाद के भी पेड़ों से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
जाने कटहल के बारे में
कटहल को आमतौर पर सब्जी के तौर पर ही जाना जाता है। घरों में कटहल की स्वादिष्ट सब्जी बनकर तैयार होती है। यहां तक कि कटहल को वेजिटेरियन लोगों का मीट भी कहा जाता है।
दुनिया का सबसे वजनी फल
कटहल दुनिया का सबसे वजनी फल है। आमतौर पर एक कटहल का वजन 25 किलो तक हो सकता है। अब आप सोच रहे होंगे कि इसे हम फल क्यों बोल रहे हैं। क्योंकि इसकी तो सब्जी बनती है। लेकिन वनस्पति शास्त्र में इसे सब्जी नहीं बल्कि फल माना जाता है
श्रीलंका और बांग्लादेश में इस कटीले छिलके वाले फल को राष्ट्रीय फल घोषित किया गया है। वहीं तमिलनाडु और केरल का ये राजकीय फल है। सबसे खास बात कि कटहल के पेड़ पर लगने वाले फूलों में केवल मादा फूल से ही कटहल होता है। नर फूल खिलकर जमीन पर बिखर जाता है। फूलों से इसकी उत्पत्ति होने की वजह से ही कटहल सब्जी ना होकर फल माना जाता है।
10वीं में 63.29 और12वीं में 55.28 फीसदी विद्यार्थी सफल हुए है।