( जावर ) नौकरी अगर अच्छी हो तो खेती किसानी करने के बारे में भला कौन सोचता है लेकिन बदलाव के इस दोर में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनी जिद और जज्बे के चलते नई रहा पकड़ रहे हैं। हम आपको ऐसे ही एक किसान के बारे में बता रहे हैं। जिन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ अपनी पुश्तैनी जमीन पर खीरे ककड़ी की खेती की शुरुआत की है। टेक्निकल खेती से इतर, खीरे ककड़ी की खेती करना किसानों के लिए फायदेमंद होते जा रहा है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश के अलग-अलग
जिलों में युवा किसान अब खीरा ककड़ी और सब्जी की खेती बड़े पैमाने पर करने लगे हैं। खंडवा जिले के जावर गांव के युवा किसान प्रीतम यदुवंशी ने अपनी दो एकड़ में खीरा ककड़ी की खेती की है। किसान प्रीतम यदुवंशी की माने तो महज 70 दिन में ही उन्हें लगभग चार लाख रुपए से ऊपर का फायदा हुआ है। किसान प्रीतम यदुवंशी ने बताया कि वह एम पी बी में
शासकीय नौकरी पर कार्यरत थे। लेकिन खेती का ऐसा जुनून था कि उन्होंने अपनी शासकीय नौकरी छोड़कर खेती करना शुरू की और आज वह टेक्निकल खेती से लाखों कमा रहे हैं।
किसान प्रीतम यदुवंशी का कहना है कि वैसे तो वे कई वर्षों से खेती कर रहे हैं। लेकिन पहले सिर्फ सोयाबीन एवं अन्य फसलों की खेती किया करते थे। इसमें बहुत ज्यादा मेहनत के बावजूद मुनाफा काफी कम होता था। इस कारण से उन्होंने खीरे
ककड़ी की खेती शुरू की। प्रीतम बताते हैं कि उन्होंने संरक्षित खेती की शुरुआत अपनी दो एकड़ जमीन से की है।उन्होंने बताया कि एक से देड लाख रुपए की लागत से खीरे ककड़ी की फसल लगाई। खीरे की पहली फसल से मात्र 70 दिन में ही चार लाख रूपयों से ऊपर का मुनाफा हुआ है।
दूसरे किसान भी सीख रहे तकनीक
प्रीतम कहते हैं कि खीरे की फसल में अच्छा मुनाफा को देखते हुए दूसरे किसान भी आब उनसे जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि समय-समय पर अनुभवी किसनो एवं कृषि वैज्ञानिकों से भी सलाह लेना पड़ता है। साथ ही समय-समय पर फसल में उर्वरक और कीटनाशा का छिड़काव करना पड़ता है। वे कहते हैं कि खीरे की खेती करते उनकी देखा देखी दूसरे
किसान भी प्रेरित हुए हैं। कई किसान उनकी खेत पर आकर फसल देखते हैं और जानकारी ले रहे हैं।