सिंगापुर में श्रीराम कथा : घोड़ाडोंगरी के श्रद्धालु भी शामिल – नेत्रहीन पदमविभूषण से सम्मानित चित्रकूट के कथाव्यास
सिद्ध पीठ श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर परिवार और दोस्तों सहित सभी भक्तों को सौहार्दपूर्वक आमंत्रित करता है श्री राम कथा तिथि और समय 19 फरवरी से सोमवार 27 फरवरी 2023 रविवार सुबह 10.00 बजे से दोपहर 12.00 बजे तक सोमवार से शनिवार: शाम 7.00 बजे से रात 9.30 बजे तक सभी का हार्दिक स्वागत है मुख्य यजमान: श्री रणवीर कुमार सिंह और परिवार।
कथा व्यास: पद्म विभूषण, तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज
नेत्रहीन : पद्म विभूषण से सम्मानित है कथावाचक
जगद्गुरु रामभद्राचार्य (संस्कृत: जगद्गुरुरामभद्राचार्यः) पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र चित्रकूट (उत्तर प्रदेश, भारत) में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं। वे रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं और इस पद पर १९८८ ई से प्रतिष्ठित हैं।
वे चित्रकूट में स्थित संत तुलसीदास के नाम पर स्थापित तुलसी पीठ नामक धार्मिक और सामाजिक सेवा संस्थान के संस्थापक और अध्यक्ष हैं। वे चित्रकूट स्थित जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति हैं। यह विश्वविद्यालय केवल चतुर्विध विकलांग विद्यार्थियों को स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और डिग्री प्रदान करता है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य दो मास की आयु में नेत्र की ज्योति से रहित हो गए थे और तभी से प्रज्ञाचक्षु हैं।
अध्ययन या रचना के लिए उन्होंने कभी भी ब्रेल लिपि का प्रयोग नहीं किया है। वे बहुभाषाविद् हैं और २२ भाषाएँ बोलते हैं। वे संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली सहित कई भाषाओं में आशुकवि और रचनाकार हैं। उन्होंने ८० से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों की रचना की है, जिनमें चार महाकाव्य (दो संस्कृत और दो हिन्दी में), रामचरितमानस पर हिन्दी टीका, अष्टाध्यायी पर काव्यात्मक संस्कृत टीका और प्रस्थानत्रयी (ब्रह्मसूत्र, भगवद्गीता और प्रधान उपनिषदों) पर संस्कृत भाष्य सम्मिलित हैं। उन्हें तुलसीदास पर भारत के सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों में गिना जाता है, और वे रामचरितमानस की एक प्रामाणिक प्रति के सम्पादक हैं, जिसका प्रकाशन तुलसी पीठ द्वारा किया गया है। स्वामी रामभद्राचार्य रामायण और भागवत के प्रसिद्ध कथाकार हैं – भारत के भिन्न-भिन्न नगरों में और विदेशों में भी नियमित रूप से उनकी कथा आयोजित होती रहती है और कथा के कार्यक्रम संस्कार टीवी, सनातन टीवी इत्यादि चैनलों पर प्रसारित भी होते हैं।
२०१५ में भारत सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया।