कैंसर: भारत की बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती और समाधान की दिशा में पहल

कैंसर: भारत की बढ़ती स्वास्थ्य चुनौती और समाधान की दिशा में पहल
लेखक: डॉ नवीन वागद्रे
भारत में कैंसर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है, जिससे निपटने के लिए जागरूकता और समय पर उपचार अत्यंत आवश्यक हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में हर 9 में से 1 व्यक्ति को जीवनकाल में कैंसर हो सकता है, और हर 15 में से 1 व्यक्ति की मृत्यु इस बीमारी के कारण हो सकती है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, 2025 तक भारत में कैंसर के मामलों की संख्या 15.7 लाख तक पहुंच सकती है, जो 2020 की तुलना में 12.8% की वृद्धि होगी। यह वृद्धि मुख्य रूप से तंबाकू सेवन, अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, प्रदूषण और तनाव जैसे कारणों से हो रही है। भारत में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर प्रकारों में स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, मुंह का कैंसर, पेट का कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर शामिल हैं।

इनमें से कई प्रकार के कैंसर जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों से संबंधित हैं। कैंसर के लक्षणों में अचानक वजन कम होना, लगातार थकान, शरीर के किसी हिस्से में गांठ या सूजन, लंबे समय तक खांसी, भूख में कमी और बिना कारण बुखार शामिल हो सकते हैं। इन लक्षणों की उपेक्षा न करें और समय पर चिकित्सकीय परामर्श लें। कैंसर से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना आवश्यक है, जिसमें तंबाकू और शराब से परहेज, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन शामिल हैं। उपचार के लिए कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, सर्जरी और इम्यूनोथेरेपी जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। भारत सरकार ने 2025-26 के बजट में कैंसर देखभाल को प्राथमिकता दी है,

जिसमें सभी जिला अस्पतालों में डे केयर कैंसर केंद्र स्थापित करने की योजना है। इसके अलावा, आयुष्मान भारत योजना के तहत कैंसर उपचार को किफायती और सुलभ बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर पहचान और उपचार से इससे निपटा जा सकता है। स्वस्थ जीवनशैली, नियमित जांच और जागरूकता ही इस बीमारी से लड़ने के सबसे प्रभावी उपाय हैं।

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