घोड़ाडोंगरी की इस महिला ने मशरूम उत्पादन कर जिला स्तर पर बनाई पहचान, अनोखी ‘मशरूम हट’ को देखने आ रहे लोग

प्रवीण अग्रवाल

जिले के विकासखंड घोड़ाडोंगरी के ग्राम विक्रमपुर की श्रीमती गीता उइके एक झोपड़ीनुमा कमरे में मशरूम का उत्पादन कर अपनी जीविका चला रही है। इस झोपड़ीनुमा कमरे को ‘मशरूम हट’ नाम दिया गया है। गीता बताती है कि युक्ति समाजसेवा सोसायटी द्वारा नाबार्ड की आजीविका उद्यम विकास कार्यक्रम के तहत विक्रमपुर की 150 महिलाओं के साथ उन्होंने मशरूम उत्पादन के लिए तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त किया। गीता विक्रमपुर के सरस्वती स्व सहायता समूह की सदस्य है। प्रशिक्षण के उपरांत मशरूम उत्पादन का कार्य पिछले वर्ष 2021-22 में प्रारंभ किया, जिसमें उन्हें आशातीत सफलता प्राप्त हुई। उन्होंने 1500 रुपए लगाकर 12300 रुपए की आय अर्जित की।

गीता बताती हैं कि इस सफलता से उत्साहित होकर जब उन्होंने मशरूम उत्पादन को व्यावसायिक तौर पर बढ़ाने का निर्णय लिया, तब इस कार्य में सबसे बड़ी बाधा घर में ज्यादा जगह न होना थी और नया कमरा बनाने के लिए पर्याप्त धन भी नहीं था। बहुत विचार करने एवं परियोजना की टीम से सलाह करने के उपरान्त उन्होंने बेहद कम लागत में मशरूम कक्ष स्थापना का निश्चय किया। इसके लिये स्थानीय स्तर पर निकट स्थित राख डेम में होने वाली एक लम्बी घास को मशरूम हट के प्रारंभिक मटेरियल के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्णय लिया और कार्य प्रारंभ कर दिया। परिणामस्वरूप सात दिनों में मशरुम प्रोडक्टशन हेतु 15&20 का कक्ष तैयार हो गया । इस कक्ष की लागत मात्र 4800 रूपये आई। इस कक्ष के तैयार होते ही मशरूम उत्पादन की राह अब बेहद आसान हो गई थी। तत्काल मशरूम स्पॉन की व्यवस्था करके गीता बाई द्वारा 130 मशरूम पैकेट इसमें लगा दिये गये, जिनसे अब उत्पादन भी प्राप्त होने लगा है।

नाबार्ड के जिला प्रबंधक श्री खालिद अंसारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार गीता बाई के इस अनूठे मशरूम कक्ष को देखने अन्य गांवों से भी अनेक लोग आ रहे हैं। यह उन सभी महिलाओं के लिये भी प्रेरणास्त्रोत है जो कि कम जगह या धनाभाव के कारण मशरूम लगाने में सक्षम नहीं है। परियोजना की तकनीकी टीम का कहना है कि इस तरह तैयार किये जाने वाले मशरूम हट में उचित वेंटिलेशन होने के कारण अधिक उत्पादन प्राप्त होगा।

गीता बाई कहती हैं कि जब उन्होंने मशरूम के व्यवसाय को बढ़ाने का निश्चय किया तो कई लोगों का कहना था कि न तो तुम्हारे पास घर में जगह है, न ही पर्याप्त धन, क्यों तुम बेकार के सपने देख रही हो। घर में बच्चों को सुलाओगी या मशरूम लगाओगी। मगर उन्होंने हार नहीं मानी और कोशिश करती रही। गीता कहती है कि जिसे हम बेकार चीज मानते थे वही आज सबसे काम की चीज बनकर सामने आई है। अब उसे मशरूम लगाकर पैसा कमाने से कोई नहीं रोक सकता।

गीताबाई द्वारा इस वर्ष भी मशरूम का उत्पादन कर बेचा जा रहा है। गीता बाई द्वारा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के इस प्रयास की सभी सरहाना कर रहे हैं। ग्राम सरपंच श्री श्यामू उईके द्वारा बताया गया कि यदि कोई स्व सहायता समूह चाहे तो शासकीय बंजर भूमि पर इसी प्रकार के मशरूम हट बनाकर कार्य करने हेतु स्वीकृति प्रदान की जायेगी।

 

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