सरकारी नौकरी का क्रेज खत्म
Betul _ These days the manner in which government employees are stepping into politics leaving their jobs. This is the message being sent by looking at him
Betul _ इन दिनों शासकीय कर्मचारी जिस तरीके से अपनी नौकरी को छोड़कर राजनीति में कदम बढ़ा रहे हैं। उसको देखकर तो यही संदेश जा रहा है कि सरकारी नौकरी का क्रेज खत्म राजनीति में बेहतर भविष्य है ।
इन दिनों डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा देने आंमला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की सम्भावनाओ को लेकर निशा बांगरे चर्चाओं में छाई हुई है । चर्चाओं की माने तो निशा बांगरे को लेकर चर्चायें हैं कि वे आमला विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकती हैं ।
वही घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक की पत्नी गंगा उइके ने राज्य महिला आयोग का सदस्य बनने पर नौकरी छोड़ दी थी । अभी भी विधानसभा चुनाव लड़ने के मूड में है । घोड़ाडोंगरी विधानसभा का इतिहास देखा जाए तो यहां पर सरकारी शिक्षक रहे रामजीलाल उईके ने भी राजनीति में आने के लिए नौकरी छोड़ दी थी। क्षेत्र से ग्राम पंचायत में सचिव रहे, सरकारी ऑफिस में कर्मचारी रहे लोग भी सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए ।
सांसद दुर्गादास उइके भी सरकारी शिक्षक की नोकरी छोड़कर सांसद का चुनाव लड़े ।
जिले की भैसदेही विधानसभा क्षेत्र से भी सरकारी शिक्षक की नौकरी छोड़कर भाजपा से विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर श्रीमती कृष्णलता मरकाम गांव गांव में छाई हुई है।
जिले की आरक्षित वर्ग की 3 विधानसभा सीटें से तो यही संदेश जा रहा है कि सरकारी नौकरी का क्रेज खत्म । राजनीति के आगे सरकारी नौकरी लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखती और लोग विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए सरकारी नौकरी को भी लात मारने को तैयार बैठे है।आज तक बैतूल जिले इतिहास देखा जाए तो अनेकों शासकीय कर्मचारियों ने अपनी सरकारी नौकरी को छोड़कर या कहें लात मारकर राजनीति में कदम रखा और सफल भी हुए हैं जनता ने उन्हें सिर आंखों पर बिठाया है और जीत का ताज पहनाया है ।
ऐसी परिस्थितियों को देखकर विभिन्न सरकारी पदों के लिए तैयारियों में जुटे युवक-युवती भी सोच में पड़ गए हैं । कहां हम शिक्षक बनने के लिए ग्रेजुएशन के बाद B.Ed, D.Ed और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे हैं। सरकारी अधिकारी बनने के लिए पीएससी और यूपीएससी की तैयारियों में रात दिन जुटे हुए हैं और वही बड़े बड़े अधिकारी अपनी नौकरियों को लात मारकर राजनीति में किस्मत आजमा रहे हैं । इन घटनाओं से युवा भी सोच में पड़ गए हैं कि जाएं तो जाएं कहां।
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