बनाएं अपना पिरामिड रिएक्टर स्वयं : डॉ. प्रताप सिंह वर्मा

विद्यार्थियों को पिरामिड द्वारा स्मरण शक्ति बढ़ाना चाहिए

बनाएं अपना पिरामिड रिएक्टर स्वयं

डॉ. प्रताप सिंह वर्मा

सभी विद्यार्थियों को अध्ययन हेतु अधिक से अधिक परिश्रम करना पड़ता है । अनेक विद्यार्थी अपनी स्मरण शक्ति की क्षमता अधिक करने हेतु गोलियों, दवाईयों का सेवन नियमित रूप से करते हैं । लाइफ-लाइन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी, इटारसी के डॉ. प्रताप सिंह वर्मा ने बताया कि स्मरण शक्ति से संबंधित दवा का अधिक सेवन का दुष्परिणाम बहुत अधिक खतरनाक होता है । उन्होने विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति को बढ़ाने हेतु पिरामिड चिकित्सा की सलाह दी है। इस पद्धति की एक अन्य विशेषता यह है कि इसके द्वारा केवल अनेक रोगों का इलाज नहीं किया जाता अपितु अनेक रोगों को दूर भी रखा जा सकता है, जिसे बचाव के तहत उपाय (Prevention is better than cure) कहते हैं।

*पिरामिड केप के लाभ :*

पिरामिड चिकित्सा पद्धति का उपयोग स्मरण शक्ति के लिए पिरामिड केप के रूप में करना अधिक लाभप्रद होता है। इसके प्रयोग करने से एकाग्रता में वृद्धि होती है एवं मानसिक, शारीरिक शांति मिलती है । इसके उपयोग से मानसिक विकास, तर्क शक्ति में वृद्धि शरीर हल्का एवं अधिक स्फूर्तिमय बनता है । सिर दर्द एवं शरीर में पीड़ा उत्पन्न हो तो पिरामिड केप के प्रयोग करने से पीड़ा का शमनहोता है एवं ताजगी का अनुभव होता है।

*पिरामिड केप को कैसे बनाएं :*

विद्यार्थी स्वयं इस पिरामिड केप को बना सकते हैं। इसे बनाने के लिए सर्वप्रथम हमें पिरामिड की आकृति को समझ लेना चाहिए। चार समान तिकोनाकार कागज के पुष्टों या प्लाईवुड के टुकड़ों को आपस में जोड़ने से पिरामिड बनता है । प्रत्येक तिकोन समद्विभुज होता है। तिकोन के नाप अतिसूक्ष्म अन्दाज लगातार बनाये जाते हैं किन्तु अपने घरेलू उपयोग के लिए अतिसूक्ष्म अनुमान लगाना संभव नहीं होता है । अतः हमें परिमाण के अनुसार चार तिकोन टुकड़े बनाना होता है तिकोन की तल आधार की लम्बाई यदि 20 सेन्टीमीटर हो तो दोनों भुजाओं की लम्बाई 19 सेन्टीमीटर होनी चाहिए। इस प्रकार तैयार किये हुए चारों तिकोनाकार टुकड़ों को ऐडहेसिव कैमिकल से एक दूसरे के साथ जोड़ देवें जो आकृति बनेगी वह पिरामिड होगी। पिरामिड को बनाने हेतु सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पिरामिड की तल आधार का जो नाप होता है उस नाप से 5 प्रतिशत कम बाजुओं की दोनों भुजाओं का होना चाहिए ।

डॉ. वर्मा ने बताया कि पिरामिड के एक तिहाई भाग में फ्लो ऑफ इलेक्ट्रो मेग्नेटिक पावर होता है। जिसे पिरामिड एनर्जी कहते हैं यही एनर्जी हमें पिरामिड को मस्तिष्क पर धारण करने से स्मरण शक्ति वृद्धि के रूप में मिलती है। हमारा मस्तिष्क एकाग्रचित्त होकर तीक्ष्ण होता है। वास्तु के को जब मस्तिष्क पर धारण किया जाता है तो विद्यार्थी का मुख उत्तर दिशा की ओर तथा पिरामिड की एक बाजू भी उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए ।

*पिरामिड केप का स्मरण शक्ति के लिये उपयोग का तरीका सावधानियाँ -*

1. प्रत्येक विद्यार्थी को अपना अलग-अलग पिरामिड (मस्तक पर रखने के लिये) उपयोग में लाना चाहिये ।

2. अपने पिरामिड का उपयोग दूसरे व्यक्ति को करने से रोकिए ।

3. पढ़ाई हेतु प्रतिदिन एक ही जगह पर बैठना चाहिये । प्रतिदिन पढ़ाई स्थल बदलना इच्छनीय नहीं है । चित्त की एकाग्रता खंडित, क्षीण होती है ।

4. अपना मुख उत्तर दिशा की ओर रखिए तथा मस्तक पर धारण किये हुए पिरामिड की एक बाजु भी उत्तर दिशा की ओर ही रखिए ।

5. पढ़ाई के लिये प्रतिदिन एक निश्चित समय निर्धारित कीजिये एक दिन सुबह तथा अन्य दिन शाम को इस प्रकार परिवर्तन नहीं करना चाहिए ।

*पिरामिड केप के अन्य लाभ*

1. आज के व्यस्त एवं तनावग्रस्त जीवन में व्यक्तियों को मानसिक तनाव, अशान्ति के कारण अनिद्रा की तकलीफ होती है। पिरामिड केप को सोते समय अपने मुंह पर रखकर उसके शिखर के अन्दर ध्यान केन्द्रित करने से शीघ्र नींद आ जाती है।

2. पिरामिड केप का नियमित उपयोग कम उम्र में असमय बालों को सफेद होने से रोकता है।

3. पूजा ध्यान करते समय पिरामिड केप का उपयोग करने से एकाग्रता में वृद्धि होती है व मन को शान्ति मिलती है।

4. दाढ़ी के लिये हम नया ब्लेड इस्तेमाल करते हैं और वह दो या तीन दिन के बाद खत्म हो जाती है । परन्तु पिरामिड के नीचे एक तिहाई ऊंचाई पर 6-7 दिन रखने से उसकी धार 50 प्रतिशत तक पुनः तेज हो जाती है। लगातार पिरामिड में रखने से 10-12 बार उसका उपयोग कर सकते हैं।

5. रंग चिकित्सा के आधार पर हम पिरामिड को प्रत्येक बीमारी के लिए आवश्यक रंगों के पीवीसी प्लास्टिक के या काँच के बना सकते हैं जिससे दर्द निवारक औषधि, दर्दनिवारक तेल एवं जल को रिचार्ज करके उसकी गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।

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