नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इससे जीवन में स्थिरता, शांति और समृद्धि आती है। वह नवदुर्गा की प्रथम स्वरूप हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं।

डॉ नवीन

🌹 *जय माता दी* 🌹

🌹🌹🌹 *आप सभी को माँ के पावन शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं*🌹🌹🌹🌹

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इस पूजा से आत्मा की शुद्धि के साथ आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। जो भी भक्त पूरे मन से उनकी पूजा करता है उसके जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है।

: नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इससे जीवन में स्थिरता, शांति और समृद्धि आती है। वह नवदुर्गा की प्रथम स्वरूप हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं।

*सफेद मिष्ठान भी प्रिय*
आध्यात्मिक गुरु पंडित कमलापति त्रिपाठी प्रमोद कहते‌ हैं कि शैलपुत्री माता को गाय के दूध से बनी खीर का भोग अत्यंत प्रिय है। इसके साथ ही सफेद मिष्ठान जैसे रसगुल्ला या मलाई बर्फी भी अर्पित कर सकते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

*धन-धान्य की कमी नहीं होती*
मां शैलपुत्री के पूजन के महत्व के बारे में पंडित त्रिपाठी कहते हैं कि मां शैलपुत्री पर्वत के समान दृढ़ और अडिग मानी जाती हैं। इसलिए उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और तपस्या का गुण आता है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। धन-धान्य की कमी नहीं होती।

*सुयोग्य वर की प्राप्ति*
मां को शुद्ध और सात्विक भोग चढ़ाने से वातावरण में सकारात्मकता आती है। बताते हैं कि कुंवारी कन्याओं को मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।

*मां शैलपुत्री पूजन विधि*
स्नान और पवित्रता: सबसे पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
कलश स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, जिसमें देवी दुर्गा की उपस्थिति को आमंत्रित किया जाता है।
*मां शैलपुत्री की पूजा: मां* शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उनकी पूजा करें।
पुष्प और अक्षत: मां शैलपुत्री को पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
दीप और धूप: दीप और धूप जलाएं और मां शैलपुत्री की आरती करें।
*मंत्र जाप: मां शैलपुत्री के मंत्र* “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का जाप करें।
भोग: मां शैलपुत्री को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में वितरित करें।

मां शैलपुत्री के मंत्र
मूल मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
वंदना मंत्र: वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।

*भोग की सामग्री*
गाय के दूध से बनी खीर, जिसमें चीनी, इलायची, साबूदाना या मखाना डाला जाता है। सफेद मिठाई जैसे रसगुल्ला, मलाई बर्फी या मिश्री का भी भोग लगा सकते हैं। भोग के लिए गाय के घी का इस्तेमाल करें। मां को सफेद फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।

*मां शैलपुत्री का महत्व*
मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और उनकी पूजा से आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। वह शक्ति और साहस का प्रतीक हैं और पूजा से जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है।

*मां शैलपुत्री की कथा*
पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष ने अपने निवास पर एक यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं को बुलाया। लेकिन अपने अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने शिव जी नहीं बुलाया। माता सती ने भगवान शिव से अपने पिता द्वारा आयोजित किए गए यज्ञ में जाने की इच्छा जताई। सती के आग्रह करने पर भगवान शिव ने भी उन्हें जाने की अनुमति दे दी। लेकिन जब सती यज्ञ में पहुंची तो वहां पर पिता दक्ष ने सबके सामने भगवान शिव के लिए अपमानजनक शब्द कहे। अपने पिता की बाते सुनकर मां सती बेहद निराश हुईं और उन्होंने यज्ञ की वेदी में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। जिसके बाद मां सती अलग जन्म में शैलराज हिमालय के घर में जन्मीं और वह शैलपुत्री कहलाईं।

*मां शैलपुत्री की आरती*

शैलपुत्री मां बैल पर सवार।
करें देवता जय जयकार।
शिव शंकर की प्रिय भवानी।
तेरी महिमा किसी ने ना जानी।।

पार्वती तू उमा कहलावे।
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू।
दया करे धनवान करे तू।।

सोमवार को शिव संग प्यारी।
आरती तेरी जिसने उतारी।
उसकी सगरी आस पुजा दो।
सगरे दुख तकलीफ मिला दो।।

घी का सुंदर दीप जला के।
गोला गरी का भोग लगा के।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं।
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे।
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।।
मनोकामना पूर्ण कर दो।
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।