राष्ट्रपति के साथ हुई बैठक में केन्द्रीय मंत्री दुर्गादास उईके के साथ शामिल हुए पूर्व संसदीय सचिव रामजीलाल उईके और पूर्व विधायक मंगल सिंग धुर्वे

 

 

देशभर के अलग अलग क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व करने वाले 54 आदिवासी समाज के प्रमुख लोगो के साथ प्रतिनिध करने वाले नेताओं और समाजसेवीयो के साथ राष्ट्रपति ने की मंत्रणा
“भारत सरकार की आदि कर्मयोगी अभियान के निमित आज दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में पूर्व संसदीय सचिव श्री रामजीलाल उईके जी,एवं पूर्व विधायक मंगल सिंह धुर्वे ने सहभागिता की इस अवसर पर
विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले विविध पृष्ठभूमि के प्रतिष्ठित जनजातीय लोगों के एक समूह ने आज (9 सितंबर, 2025) राष्ट्रपति भवन में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। यह समूह जनजातीय कार्य मंत्रालय के ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ के अंतर्गत राष्ट्रपति भवन में था। इस पहल के तहत राष्ट्रपति भवन में जनजातीय नेताओं की बैठक राष्ट्रपति जी की अध्यक्षता में आयोजित की गई

उपस्थित बंधुओं राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी ने संबोधित किया आदि कर्मयोगी अभियान जनजातीय समाज और देश के भविष्य को आकार देने की दिशा में संवाद और सहयोग का एक उल्लेखनीय प्रयास है। यह पहल एक समावेशी और समतामूलक भारत के निर्माण के हमारे सामूहिक संकल्प को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि जनजातीय समुदाय न केवल विकास के लाभार्थी हों, बल्कि राष्ट्र के भविष्य के सह-निर्माता भी हों।

राष्ट्रपति ने कहा कि आदि कर्मयोगी अभियान उत्तरदायी शासन के माध्यम से आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने की एक परिवर्तनकारी पहल है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इस वर्ष जुलाई में इस अभियान की शुरुआत के बाद से, एक लाख गाँवों में, अधिकारियों, स्वयंसेवकों, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं और आदिवासी युवाओं सहित 20 लाख आदि-कर्मयोगियों को संगठित किया जा रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि एक लाख आदि सेवा केंद्रों की पहचान एकल खिड़की सेवा और शिकायत निवारण केंद्रों के रूप में की गई है। धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान 63,000 से अधिक आदिवासी बहुल गाँवों को आवश्यक बुनियादी ढाँचा और सेवाएँ प्रदान कर रहा है। वन अधिकार अधिनियम सामाजिक न्याय, समानता और पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। उन्होंने कहा कि वास्तविक सशक्तिकरण केवल योजनाओं से नहीं आता है। सच्चा सशक्तिकरण लोगों के अधिकारों की मान्यता से आकार लेता है। यह उन अधिकारों के सम्मान से मजबूत होता है और आदिवासी समुदायों के प्रतिनिधित्व से कायम रहता है। उन्होंने आदिवासी समुदायों के सदस्यों से अपनी विकास यात्रा की सक्रिय जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया। उन्होंने आदिवासी समुदायों को विभिन्न मंचों पर अपने विचार व्यक्त करने और व्यवस्थाओं को जवाबदेह बनाने की सलाह दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि हम सभी को मिलकर, अपने आदिवासी भाइयों और बहनों की सक्रिय भागीदारी से, एक ऐसे समाज और देश के निर्माण के लिए काम करना चाहिए जहाँ समानता, न्याय और सम्मान का वातावरण हो, जहाँ आदिवासी समाज की संस्कृति और परंपराएँ संरक्षित हों और हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों के अधिकारों की रक्षा हो। उन्होंने आदिवासी लोगों को उनकी विशिष्ट पहचान और समृद्ध संस्कृति को संरक्षित करते हुए मुख्यधारा से जोड़ने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रपति ने आदिवासी भाषाओं के लिए एआई-आधारित अनुवाद उपकरण, आदि वाणी के हालिया शुभारंभ पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इसे आदिवासी क्षेत्रों में भाषा और शिक्षा परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

सितंबर 2025 में लॉन्च किया जाने वाला आदि वाणी का बीटा संस्करण, दुनिया का पहला एआई-संचालित स्वदेशी भाषा सेतु उपकरण है जो भारत में आदिवासी समूहों के सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक समावेशन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग करता है। यह कुछ सबसे कमजोर सामाजिक समूहों के कल्याण के लिए एआई के उपयोग का एक सच्चा उदाहरण है।

बैठक के दौरान आदि कर्मयोगी अभियान पर एक फिल्म दिखाई गई।

इस अवसर पर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम और जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्री दुर्गादास उइके भी बैठक में उपस्थित थे।