#हिंदू जागरण मंच के आव्हान पर सकल हिंदू समाज द्वारा आक्रोश व्यक्त किया #
किया शठे शाठ्यम समाचरेत” अर्थात विदुर नीति कहती है कि दुष्ट के साथ दुष्टता का ही व्यवहार करना चाहिए। इसी वाक्य को सामने रख, मुट्ठियों को भींचते हुए और जुबान से अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए गुरुवार शाम आमला में आतंकवाद के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया गया।
विगत दिनों पहलगाम की बेसरन घाटी में हुई आतंकी घटना से पूरा देश गुस्से में है। बेसरन घाटी में 28 पर्यटकों की गोली मार कर हत्या कर दी गई, जहां प्रत्यक्षदर्शियों व पीड़ितों ने बताया आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछा, और हिन्दू बताने पर गोली मार कर हत्या कर दी। इस नीचतापूर्ण घटना से पूरा देश स्तब्ध है और आक्रोशित भी, इसी आक्रोश की परिणति गुरुवार शाम आमला में भी देखने को मिली। हिंदू जागरण मंच के आह्वान पर सकल हिंदू समाज द्वारा अपना आक्रोश व्यक्त किया गया। पहलगाम में हुई बर्बरतापूर्ण घटना के विरोध में सकल हिन्दू समाज गुरुवार को सड़क पर उतरा, जहां युवाओं,महिलाओं व शहरवासियो का आक्रोश साफ़ देखा जा सकता था। आतंकवाद एवं पाकिस्तान के विरोध में आक्रोशित प्रदर्शनकारियो ने एसडीएम शैलेन्द्र बड़ोनिया को महामहिम राष्ट्रपति महोदया के नाम ज्ञापन सौंपा, यहां से प्रदर्शनकारी रैली के रूप में शहर के जनपद चौक पहुँचे एवं पाकिस्तान एवं पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामिक आतंकवाद का पुतला जलाया।
पहलगाम की घटना से आक्रोशित हिन्दू समाज ने एक स्वर में मांग की कि धर्म पूछकर जिस तरह से हत्याएं की गई,उससे आतंकियों की हिन्दू विरोधी सोच साफ झलकती है, इसे हिन्दू समाज कतई बर्दाश्त नही करेगा। हिन्दू समाज के युवाओं द्वारा बताया गया कि अगर हिन्दू अपने देश मे सुरक्षित नही तो फिर इससे बुरी स्थिति क्या हो सकती है। आतंक के खिलाफ आयोजित इस जनाक्रोश रैली में अपना विरोध दर्ज करवाने आई नारी शक्तियों ने भी जोर देते हुए कहा, इन नीच आतंकियों की अब कड़ी निंदा नही बल्कि समूल सर्वनाश होना चाहिए, इन बर्बर आतंकियों को अब उन्ही की भाषा मे उत्तर दिया जाना चाहिए। इस जनाक्रोश सभा मे आमला ही नही बल्कि दूर दराज के ग्रामो से भी कई सारे ग्रामीण युवा भी अपना विरोध दर्ज करवाने पहुँचे, ग्रामीण युवाओं ने मुखरता से कहा कि इसमें कोई दोराय नही कि ये पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित घटना थी, पर जिस तरह से आतंकी वहां पहुँचे और घिनौना कार्य कर गायब भी हो जगये इससे शंका उत्पन्न होती है कि स्थानीय सहायता भी उन आतंकियों को मिली होगी, इसलिए एकसूत्रीय मांग यही है कि घटना को अंजाम देने वाले आतंकियों के साथ-साथ उनकी सहायता करने वाले स्थानीय लोगो की भी पहचान कर ऐसा दण्ड दिया जाए जो इतिहास में मिसाल के रूप याद रखा जाए। जन आक्रोश सभा मे युवा, महिलाएं, व्यवसायी, नौकरीपेशा, समाजसेवी, सेवानिवृत्त कर्मचारी व विद्यार्थी वर्ग भी शामिल था, सभी ने मृतकों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन धारण किया एवं अंत मे यही प्रार्थना की कि उन आतंकियों को ऐसी सजा मिले कि वे ऐसा बर्बर कार्य करने की सोच से भी कांप उठे एवं भविष्य में फिर कभी इस तरह किसी को भी आक्रोश व्यक्त करने की आवश्यकता पड़े।