मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि : अब लोकसभा,विधानसभा की 33 फीसदी सीटो पर महिलाओं को मिला हक

नारी शक्ति का वंदन।

महिला आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ। दशकों से लंबित महिला आरक्षण विधेयक पारित होते ही अमृतकाल का भारत एक नए दौर में प्रवेश कर चुका है।

पूरा देश बोल रहा, मध्यप्रदेश बोल रहा- मोदी है तो मुमकिन है।

सभी माननीय सांसदों ने अपनी बात के प्रारंभ में ही कहा है कि हम इसका (नारी शक्ति वंदन अधिनियम) समर्थन करते हैं और इसके लिए मैं सबका हृदय से अभिनंदन करता हूं, आभार व्यक्त करता हूं।

नारी शक्ति को एक विशेष सम्मान, सिर्फ विधेयक पारित होने से मिल रहा है, ऐसा नहीं है। इस विधेयक के प्रति देश के सभी राजनीतिक दलों की सकारात्मक सोच होना, ये हमारे देश की नारी शक्‍ति को एक नई ऊर्जा देने वाली है।

– पीएम श्री Narendra Modi

 

क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक पेश किया.लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पारित हो गया है. बिल के पक्ष में 454 मत पड़े जबकि दो सांसदों ने इसके विरोध में वोट दिया.

संसद की नई इमारत में कार्यवाही मंगलवार से शुरू हुई. पहले दिन क़ानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने महिला आरक्षण से जुड़ा विधेयक पेश किया था.

इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया विधेयक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है.

 

इस विधेयक में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फ़ीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है.

 

विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा, राज्यों की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी इसका मतलब यह हुआ कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी.

पुदुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित नहीं की गई हैं.
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए सीटें आरक्षित हैं. इन आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटें अब महिलाओं के लिए आरक्षित की जाएंगी.

इस समय लोकसभा की 131 सीटें एससी-एसटी के लिए आरक्षित हैं. महिला आरक्षण विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद इनमें से 43 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी. इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों के एक हिस्से के रूप में गिना जाएगा.

इसका मतलब यह हुआ कि महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 ऐसी होंगी जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकेगा यानी इन सीटों पर उम्मीदवार पुरुष नहीं हो सकते.

यह गणना लोकसभा में सीटों की वर्तमान संख्या पर की गई है. परिसीमन के बाद इसमें बदलाव आने की संभावना है.

चर्चा में क्या हुआ

राज्यसभा में इस समय महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा हो रही है। इस विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करने का प्रावधान है। केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने सदन में संविधान 128वां संशोधन विधेयक पेश किया। कल लोकसभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया था। इस विधेयक को नारी शक्ति वंदन अधिनियम कहा गया है।

 

श्री मेघवाल ने कहा कि यह विधेयक देश में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि यह भारत को अमृत काल में विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। श्री मेघवाल ने महिलाओं के लिए उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना और अन्य कल्याणकारी योजनाएं लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए भी मौजूदा सीटों के अंतर्गत 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा और इसके लिए जनगणना और परिसीमन आवश्यक है।

 

महिला आरक्षण विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस विधेयक को लाना महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विधेयक लोकसभा और राज्यों की सभी विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करेगा। उन्होंने बताया कि इन श्रेणियों की आरक्षित सीटों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए भी आरक्षण होगा। सुश्री सीतारामन ने कहा कि विधेयक में यह भी कहा गया है कि यह आरक्षण तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि लोकसभा या किसी विशेष राज्य की विधानसभा या दिल्ली की विधानसभा भंग नहीं हो जाती।

 

भाजपा नेता जगत प्रकाश नड्डा ने विश्वास जताया कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम राज्यसभा में सर्वसम्मति से पारित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं की सदैव महत्वपूर्ण भूमिका रही है। श्री नड्डा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक लाभ नहीं लेना चाहती बल्कि उसका लक्ष्य महिलाओं को सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्षों में नरेंद्र मोदी सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए कई फैसले लिए हैं।

 

विधेयक का समर्थन करते हुए कांग्रेस नेता रंजीत रंजन ने कहा कि संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए। हालांकि, उन्होंने महिला आरक्षण विधेयक को संसद में लाने में देरी पर सवाल उठाया।

 

डीएमके की डॉ. कनिमोझी सोमू ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि महिला आरक्षण विधेयक महिलाओं पर कोई उपकार नहीं बल्कि अधिकार का मामला है।

 

आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार पाठक ने भी विधेयक के पक्ष में बोलते हुए कहा कि यह कानून समाज और देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

 

भारत राष्‍ट्र समिति के डॉ. के केशव राव ने विधेयक का समर्थन करते हुए इसे एक ऐतिहासिक विधेयक बताया।

 

वाईएसआरसीपी के वी. विजयसाई रेड्डी ने कहा कि उनकी पार्टी विधेयक को पूरा समर्थन दे रही है। उन्‍होंने राज्यसभा और राज्य विधान परिषदों में भी महिला आरक्षण प्रदान किया जाने की मांग की।

 

चर्चा में भाग लेने वालों में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन, भाजपा की सरोज पांडे, कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, समाजवादी पार्टी की जया बच्चन, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की महुआ माजी और बीजू जनता दल की सुलता देव शामिल हैं।

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