चोपना : घोड़ाडोंगरी क्षेत्र के निवासी को तीन साल का कठोर कारावास की सजा

घर में अवैध रूप से वन्यप्राणी तेंदुआ की खाल रखने वाले आरोपी को 03 वर्ष के कठोर कारावास

घर में अवैध रूप से वन्यप्राणी तेंदुआ की खाल रखने वाले आरोपी को 03 वर्ष के कठोर कारावास एवं जुर्माने से दंडित किया गया : माननीय न्यायालय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी बैतूल ( म.प्र . ) , ने घर में अवैध रूप से वन्यप्राणी तेंदुआ की खाल रखने वाले आरोपी अनाथ माली पिता निरोध माली , उम्र 65 वर्ष , निवासी ग्राम लखीपुर थाना चोपना , जिला बैतूल ( म.प्र . ) को धारा 39 ( 1 ) ( 2 ) ( 3 ) एवं धारा 40 / 51 वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत दोषी पाते हुए 03 वर्ष का कठोर कारावास एवं 10,000 / – रूपये का जुर्माना से दंडित किया गया

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प्रकरण में म.प्र . शासन की ओर से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी श्री अजीत सिंह द्वारा पैरवी कार्य किया गया । अभियोजन का मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 25.04.2016 को वनपरिक्षेत्र अधिकारी सारणी को मुखबिर सूचना प्राप्त हुई थी कि ग्राम लखीपुर में अनाथ पिता निरोध माली के घर पर वन्य प्राणियों की खाल रखी हुई है , उक्त सूचना पर वन परिक्षेत्र अधिकारी सारणी द्वारा तत्काल स्टॉफ को अवगत कराया गया । समस्त वन स्टॉफ एकत्रित होकर चोपना पहुंचे , चोपना थाने से पुलिस को साथ लेकर लखीपुर गांव पहुंचे । गांव में पूछताछ की कि अनाथ माली कहा रहता है , तो गांव वालों ने बताया कि अनाथ चोपना बाजार गया है ,

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तब वन परिक्षेत्र अधिकारी सारणी स्टॉफ एवं पुलिस के साथ चोपना आये , चोपना में सोसायटी के पास से अनाथ को साथ में लेकर लखीपुर पहुंचे अनाथ एवं गांव के स्वतंत्र साक्षी के समक्ष अनाथ माली के घर की तलाशी ली गयी । तलाशी के दौरान आरोपी अनाथ के घर के बरामदे में अनाज की बोरियों के बीच से एक कोने में रखी प्लास्टिक की बोरी में कुछ भरा हुआ दिखाई दिया , तब उस प्लास्टिक की बोरी को अनाथ के समक्ष बाहर निकलवाया गया । आरोपी अनाथ के द्वारा विरोध किया गया कि बोरी में पाईप है , तब बोरी को खोला गया तो उसमें वन्यप्राणी तेंदुएं की खाल बरामद हुयी थी ,

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जिसे मौके पर ही जप्त कर जप्ती पंचनामा मौका पंचनामा तैयार किये गये । आरोपी अनाथ के विरुद्ध वन अपराध दर्ज कर प्रकरण विवेचना में लिया गया था । वन परिक्षेत्र सारणी द्वारा आवश्यक अनुसंधान पूर्णकर परिवाद पत्र तैयार कर माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया । विचारण में अभियोजन ने अपना नामला युक्तियुक्त संदेह से प्रमाणित किया जिसके आधार पर माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को दंडित किया गया । 

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