*”भक्तों ने झूमकर मनाया शिव भक्ति का उत्सव, विशेष तिथियों पर पूजा की महत्ता होती है”पंडित नंदकिशोर पांडेय*
*गोवर्धन गुप्ता*
नागपुर।कल्याणेश्वर मंदिर महल में आयोजित शिव पुराण के चतुर्थ दिन की कथा का वाचन करते हुए कथा व्यास पंडित नंदकिशोर जी पांडेय ने शिव एवं शक्ति के अद्भुत चरित्र का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने देवी पूजा की तिथियों और शिव की पूजा से संबंधित व्रतों का महत्व बताते हुए कहा कि प्राचीन काल से देवी पूजा की तिथियों को विशेष मान्यता प्राप्त रही है। प्रत्येक मास की चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी तिथियों को शुभ कार्यों की व्यावसायिकता से दूर रखा जाता है, सिवाय गणेश पूजा के, क्योंकि गणेश जी विघ्न विनाशक माने जाते हैं। अतः ये तिथियां केवल उनके पूजन के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं।
पंडित जी ने आगे कहा कि, भले ही पंचांग में विविध विवाह मुहूर्त उपस्थित होते हैं, फिर भी इन विशेष तिथियों में विवाह का आयोजन न करने की सलाह दी जाती है। धार्मिक परंपरा के अनुसार, आश्विन मास की नंदा तिथि पर गुड़, चावल और नमक के माध्यम से भगवान शिव का पूजन करने की प्रथा है।
कार्तिक मास की चतुर्दशी को खीर अर्पित कर शिव पूजन का अनुष्ठान किया जाता है, जबकि अगहन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को ज्योतिर्लिंग और चावल से शिव की आराधना का विशेष विधान है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को रात्रि जागरण करते हुए प्रातः खिचड़ी से शिव का पूजन करने की परंपरा प्रचलित है।
पूर्णमासी की रात्रि में नदी के किनारे जागरण कर शिव जी की आराधना का महत्व अत्यधिक है। फाल्गुन कृष्ण की चतुर्दशी को भी रात भर जागरण करके महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर बेलपत्र और फल अर्पित किए जाते हैं।
चैत्र शुक्ल की चतुर्दशी को दिन-रात शिव का स्मरण करते हुए पलाश पुष्पों और तुलसी पौधे से शिव का पूजन करने का विशेष महत्व है। इस प्रकार, सती ने अनेक व्रतों का पालन करते हुए भगवान विष्णु के निवास में लक्ष्मी और भगवान शिव के दरबार में शक्ति को प्राप्त किया। सती ने स्तुति करते हुए भगवान से निवेदन किया कि कृपया मुझे विवाह का अवसर प्रदान करें, क्योंकि मैं आपकी पत्नी बनना चाहती हूं।
कथा के दौरान माहौल शिव भक्ति से सराबोर हो गया, जहां शिव भक्ति के भजनों ने भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। पंडित कृष्ण मुरलीधर पांडेय ने बताया कि महाशिवपुराण में बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित हो रहे हैं और प्रतिदिन भगवान शिव का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अभिषेक किया जा रहा है। इस समारोह में ट्रस्ट के सदस्य बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, जो इस शुभ अवसर को और अधिक दिव्य बना रहे हैं।







