अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण 32 प्रतिशत सर्व सम्मति से पारित
विधानसभा में 1 दिसंबर को गहमागहमी के बीच आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। विधानसभा में आरक्षण विधेयक पर चर्चा शुरू होते ही पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर और वर्तमान मंत्री शिव डेहरिया आपस में भिड़ गए। इसके बाद विधानसभा को कुछ देर के लिए स्थगित कर दिया गया था।
लेकिन दोबारा शुरू हुई विधानसभा की कार्रवाई में आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। छत्तीसगढ़ में अब अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति वर्ग के लिए 13 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है। मुख्यमंत्री ने लोकसेवा आरक्षण और शैक्षणिक संस्था प्रवेश में आरक्षण विधेयक सदन में पेश किया। सदन में चर्चा के पश्चात सर्वसम्मति से विधेयक पारित हुआ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पिछली सरकार ने इसे सर्कुलर के रूप में जारी किया था हमने एक्ट बनाया है। जनगणना होती है तो जनगणना के अनुसार ही आरक्षण का उचित लाभ दिलाया जाएगा। जिला स्तर पर दिया जाएगा लाभ, जिन जिलों में ओबीसी की संख्या ज्यादा होगी वहां उन्हे 27% आरक्षण का लाभ मिलेगा। विधानसभा के सदस्यों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपील की सभी केंद्र सरकार के पास जाकर नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए बात करेंगे ताकि प्रदेश के लोगों को इसका लाभ मिल सके।
सीएम ने कहा- छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था ( प्रवेश में आरक्षण ) संशोधन विधेयक , 2022 को भी विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया है । छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति , अनुसूचित जाति , अन्य पिछड़ा वर्ग व आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण के लिए सर्वसम्मति से पारित विधेयक को केंद्र सरकार के पास भेजने का संकल्प भी विधानसभा में पारित हो गया है । राज्य में अब कुल 76 प्रतिशत आरक्षण हो गया है ।