78 साल पहले यहाँ फहराया था नेताजी ने तिरँगा
78 साल पहले भारतीय तिरंगा फहराने का श्रेय नेताजी सुभाष चंद्र बोस को जाता है. उन्होंने अंडमान और निकोबार में ये काम किया था ।पोर्ट ब्लेयर से लगभग सटा ही हुआ है- रॉस द्वीप जो प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही एक इतिहास को भी खुद में समेटा हुआ है। इस द्वीप पर जाने के लिए राजीव गाँधी वाटर स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स से नाव की सुविधा है। यहाँ की जेट्टी का नाम है- अबरदीन जेट्टी ।
हिंद महासागर में स्थित अंडमान निकोबार द्वीप समूह में कुल 572 द्वीप हैं। इनमें से केवल 38 में ही लोग रहते हैं। अंडमान के द्वीप अपने खूबसूरत समुद्र तटों, क़ुदरती दिलकशी, अनछुए जंगलों, दुर्लभ समुद्री जीवों और मूंगे की चट्टानों के लिए मशहूर हैं। इस खूबसूरती के पर्दे के पीछे छुपा है अंडमान का काला इतिहास। अंडमान का एक द्वीप रॉस आइलैंड, जिसे अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस आइलैंड के नाम से जाना जाता है, अपने भीतर साम्राज्यवादी इतिहास के काले-घने राज छुपाए हुए है।
1857 में भारत की आजादी के पहले संग्राम के बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने बागियों को अंडमान के सुदूर द्वीपों पर लाकर कैद रखने की योजना बनाई। 1858 में 200 बागियों को लेकर एक जहाज अंडमान पहुंचा। उस वक्त सारे के सारे द्वीप घने जंगलों से आबाद थे। इंसान के लिए वहां रहना मुश्किल था। महज 0.3 वर्ग किलोमीटर के इलाके वाला रॉस आइलैंड इन कैदियों को रखने के लिए चुना गया पहला जजीरा था। इसकी वजह ये थी कि यहां पर पीने का पानी मौजूद था। लेकिन इस द्वीप के जंगलों को साफ करके इंसानों के रहने लायक बनाने की जिम्मेदारी उन्हीं कैदियों के कंधों पर आई। इस दौरान ब्रिटिश अधिकारी जहाज पर ही रह रहे थे।1942 तक रॉस आइलैंड सुनसान हो चला था, क्योंकि सियासी वजहों से अंग्रेजों को 1938 में सभी राजनैतिक बंदियों को अंडमान से रिहा करना पड़ा था। फिर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हमले की आशंका के चलते अंग्रेज यहां से भाग खड़े हुए। 29 दिसंबर 1943 नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंडमान एंड निकोबार द्वीप के पोर्ट ब्लेयर पर पहुंचे. वो 03 दिनों के लिए यहां आए थे. 30 दिसंबर 1943 को जिमखाना ग्राउंड पर नेताजी ने तिरंगा फहराया इस लिए सुभाष बाबू को आजाद हिंद सरकार के प्रथम प्रधानमंत्री कहा जाता हैं ।दूसरे वर्ल्ड वार में जापान ने इस द्वीप पर कब्जा कर लिया था. 1942 में उनका इस पर कब्जा हुआ, जो 1945 तक बरकरार रहा. इसे 29 दिसंबर 1943 को उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद सरकार को सौंप दिया ।जब सुभाष चंद्र बोस ने 30 दिसंबर 1943 को तिरंगा फहराया तो उन्होंने अंडमान का नाम शहीद और निकोबार का नाम स्वराज रखा. सुभाष ने जो तिरंगा फहराया था, इसके बाद आजाद हिंद सरकार ने जनरल लोकनाथन को यहां अपना गवर्नर बनाया. 1947 में ब्रिटिश सरकार से मुक्ति के बाद ये भारत का केंद्र शासित प्रदेश है । हाल ही में 2018 में अंडमान के दौरे पर आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस आइलैंड का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वीप रखा ।