मेरी कश्मीर यात्रा अनुभव : संस्मरण

मेने वहाँ परवेज मुशर्रफ नाम के होटल भी देखे।

खुलकर अह्सास कराया कि वे भले ही हिन्दुस्तान में रह रहे है , लेकिन मानसिक रुप से पाकिस्तान से जुड़े हुये है कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि दूर रहने वाली बहु सास को जितनी प्यारी लगती है कश्मीरियों को पाकिस्तान वैसा ही लगता है।

मेरी कश्मीर यात्रा अनुभव : संस्मरण
भारत को हिन्दुस्तान कहते है – कश्मीरी
हम अपने देश को कभी भारत कहते है तो कभी हिन्दुस्तान कहते है।लेकिन  कश्मीर में लोग हिन्दुस्तान शब्द का ही उपयोग करते है।1999 में मेरी कश्मीर यात्रा के दौरान एक सप्ताह श्रीनगर में रहने का अवसर प्राप्त हुआ।इस दौरान मेने वहाँ परवेज मुशर्रफ नाम के होटल भी देखे।एक कलर लेब में अमरनाथ यात्रा के लिये फ़ोटो बनवाने पहुंचा तो वहाँ के मालिक ने आपसी बातचीत में बताया यहां जो घटनाएं होती है, हिन्दुस्तान करवाता है। लोकल पुलिस और आर्मी की आपसी झड़पे आये दिन सड़क पर देखने को मिल जाती थी। यहाँ ये बात इतने वर्षों बाद इसलिए है क्योंकि वहाँ के हालात इतने वर्षों बाद भी नही बदले ऐसा मानकर ही वर्तमान सरकार ने कश्मीर के हित मे कई फैसले लिये है।

हम जिस डल झील में रुके थे उन्होंने, शिकारा पर घूमने गये तो शिकारा चलाने वाले ने आपसी बातचीत में खुलकर अह्सास कराया कि वे भले ही हिन्दुस्तान में रह रहे है , लेकिन मानसिक रुप से पाकिस्तान से जुड़े हुये है।कश्मीर यात्रा के दौरान हर नागरिक यह तो अहसास कर ही आता है कि भारतीय सैनिकों के दम पर ही हम धरती के स्वर्ग कश्मीर की अपनी यात्रा पूरी कर सही सलामत घर जा रहे है।

उस समय कश्मीर की स्थिति यह थी कि जिस बस में आप सफर कर रहे है तो पता चलता है कि कुछ दूरी पर चल रही दूसरी बस में विस्फोट हो गया है।अमरनाथ यात्रा में हम जिस टेन्ट में रुके थे सुबह पता चला कुछ ही मीटर के दूसरे टेन्ट पर रात में आतंकवादियों ने हमला किया था।
श्रीनगर के प्रमुख स्थलों पर घूमने जाने पर वहाँ परिवार के साथ घूमने आए अन्य लोगों के पास ए के 47 जैसी गने दिख जाती है तो यह सोचने पर विवश हो जाते है कि एक अनजान स्थान पर आप कितने सुरक्षित है। एक व्यक्ति जो परिवार के साथ पिकनिक मनाने आया था उसके पास ऐसी ही गन देखकर मेने उससे गन के साथ फोटो खिंचवाने की इच्छा व्यक्त की।उन्होने कहा फ़ोटो तो खिंचवा लो लेकिन कभी किसी ने पूछ लिया कहा से आई तो क्या जवाब दोगे।मुझे भी उसकी बात सार्थक लगी।

कश्मीर में स्थानीय निवासी भी जानते है कि पर्यटक ही उनके जीवन यापन का मुख्य माध्यम है।इसलिए वे सभी पर्यटकों से अच्छा व्यवहार रखते है लेकिन अपनी मानसिकता का भी खुलकर अहसास करवा देते है।अमरनाथ यात्रा भी देखा जाये तो देश भर से पहुंचे विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं और भारतीय सेना के दम पर ही सम्पन्न होती है।हर वर्ष बर्फबारी के बाद रास्ते खराब हो जाते है। पहाड़ो पर गुफा तक प्रतिवर्ष भारतीय सैनिक रास्ता बनाते है।इतनी ऊंचाई पर भी हमारे सैनिक यात्रियों के लिये कई जगह गर्म कुनकुना पानी पीने के लिये यात्रियों को मुहैया कराते है।हर एक श्रदालु को यात्रा के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी नही हो,इस पर वहाँ तैनात भारतीय सैनिकों की कडी निगाहें रहती है।श्रद्धालुओं के साथ रहने वाले खच्चर वाले,पालकी वालों को वे बीच बीच मे समझाईश देते रहते है।अमरनाथ यात्रा के लिये वहाँ पहुचे विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों के स्वयंसेवको की सेवा भावना देखते ही बनती है।

हर श्रद्धालु को वे भोले बाबा मानकर हाथ जोड़कर उनके लिये भोजन,रहने तक की व्यवस्था करते है।यात्रा के लिये पूरा मार्गदर्शन, सहयोग देते है। अब कश्मीर को लेकर मोदी सरकार द्वारा लिये गये फैसले से निश्चित ही कश्मीर में परिवर्तन आएगा।इन्ही उम्मीदों के साथ – जय हिंद
प्रवीण अग्रवाल

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