बैतूल में एक दर्जन मेहंदी लगाने वाले…. 😠नीचता की पराकाष्ठा 😠

बैतूल, जिला मुख्यालय पर अमीरो की लाड़ली के हाथ, पांव और नाजुक अंगो पर मेहंदी की कलाकारी दिखाने वाले एक दर्जन से अधिक ऐसे युवक सक्रिय है जिनकी यदि पुलिस प्रशासन द्वारा सख्ती से जांच पड़ताल होती है तो जिले भर के अनेक चर्चित एवं अनचर्चित लव जेहाद के मामलो में नए खुलासे हो सकते है। बैतूल जिले में लव जेहाद के बहाने अब तक की अधिकांश सेंटिंग से लेकर वेटिंग तक में मेहंदी हसन की भूमिका संदेह के घेरे में रही है। जिले में अश£ीलता को बढ़ावा देने वाली मेहंदी संस्कृति का मार्डन रूप टैटू भी दबे पांव अमीरो की चौखट पर जा पहुंचा है। कहना नहीं चाहिए लेकिन जिला मुख्यालय के कुछ नव धनाढ्य परिवारो एवं मालदार तथा वजनदार तथाकथित मार्डन परिवारो की बहू – बेटियो में मेहंदी एवं टैटू के बहाने जिस्म प्रदर्शन की स्पर्धा चल रही है।

जिले में तेजी से फैल ही इस कुसंस्कृति के शिकार बने रहे परिवार के मार्डन बनने के चक्कर मे अनेक घर – परिवारो के बीच बिखराव का कारण भी कथित आधुनिकता बताई जा रही है। विवाह की रुत पुनः आ गई है । संस्कारों के नाम पर हमारे समाज में अश्लीलता का पदार्पण हो चुका है । नई नई कुप्रथाएँ जन्म ले रहीं हैं । ऐसे ही एक मेहंदी कार्यक्रम में बढ़ रही अश्लीलता को लेकर यह आलेख पठनीय है हल्दी रस्म ,मेहंदी रस्म की प्रगति निरंतर बढ़ती जा रही है।अपनी माँ दादी की परम्पराओं को छोड़ एकता कपूर के सीरियल पर आधारित शादी करोगे तो वो सनातन विवाह कम, देह भोग पार्टनर जुगाड़ व्यवस्था, ज्यादा रहेंगे। वहां बेटी बहू का नंगा होना भला कितना मायने रखता है।

इसलिए मैं कहता रहता हूं अपने घर के विवाह संस्कारों को एकता कपूर आधारित मत बनाओ_ _बल्कि अपने घर की माता, दादियों, बुआ, काकी, मासी और घर की परंपरा अनुसार बनाओ* क्योंकि अगर घर का विवाह टीवी सीरियल आधारित हो गया तो हल्दी रस्म मेहंदी रस्म जैसे फर्जी आयोजनों में हमारे घर की दादी, नानी, बुआ, काकी और घर के बड़ों की हिस्सेदारी खत्म हो जाएगी और सारे आयोजन परंपरा से कट कर टीवी सीरियल आधारित हो जाएंगे। टीवी सीरियल तो निरंतर बहन बेटियों को नंगा करने का ही काम कर रहे हैं, इसलिए इन टीवी सीरियल वालों को अपने घर की पवित्र सनातन परंपराओं में घुसपैठ मत करने दो वरना यह आपके घर की बहन बेटियों को भी नंगा करेंगे और आप ग्लैमर के नाम पर अतिरिक्त देखने के कुछ नहीं कर पाओगे ।

अभी इन नाटकों की शुरुआत हुई है कहीं कपड़े ढके हैं कहीं कपड़े ऊपर हो चुके हैं जब तक पूरे कपड़े ना निकले उससे पहले अपनी परंपराओं और जड़ों की ओर लौट आओ वरना परंपराओं से कटे आपके घर की बहन बेटियों को आपके सामने आपके आंगन में ही नंगा कर दिया जाएगा।ग्लैमर के नाम पर और आप नाचते रहोगे। समय है थोड़ा संभल जाओ। यह हल्दी रस्म ओर महंदी रस्म हमारे सनातन विवाह परंपराओं के अंग नहीं है इन फर्जी फिल्मी नाटकों को परंपराओं में मत भरो , वरना आपकी पवित्र परंपरा और आपके कुल दोनों के लिए घातक सिद्ध होगा यह नाटक..
( फेसबुक से साभार )

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