बैतूल जिले की 5 सीटों पर मतदाताओं ने भाजपा प्रत्याशी को जिताकर प्रदेश में एक अलग ही संदेश दिया है ।सारे समीकरण, सारे सर्वे को झूठलाते हुए। बैतूल जिले की जनता ने कांग्रेस को जीरो और भाजपा को जिले की 5 सीटों से नवाजा है ।वहीं पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा में वहां की जनता ने भारतीय जनता पार्टी को एक भी सीट पर जीत नहीं दिलाई। बैतूल जिला आदिवासी बहुल जिला है और जिले में पांचो विधानसभा सीटों पर आदिवासी समाज के मतदाता है ।
मध्य प्रदेश में 21 फीसदी के लगभग आदिवासी समुदाय के मतदाता रहते हैं । आदिवासी समाज के लोगों को बरगलाने के लिए कई संगठन सक्रिय है भारतीय जनता पार्टी से आदिवासी समाज को दूर करने के प्रयास काफी लंबे समय से हो रहे हैं । उसके बावजूद जिले की पांचो विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशियों को विजई बनाने में आदिवासी समाज की प्रमुख भूमिका को इग्नोर नहीं किया जा सकता। राजनीति विश्लेषक भी मानते हैं कि बैतूल जिले की पांचो सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को जिताने में आदिवासी समाज की प्रमुख भूमिका रही है ।ऐसे में जिले से आदिवासी विधायक को मंत्री बनाने की मांग चल रही है।
घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के लोग भी मानते हैं कि जन नेता सज्जन सिंह उइके जब भी चुनाव लड़े तो जीते ही हैं। सज्जन सिंह उईके के बैकग्राउंड को देखते हुए उनकी पत्नी को भाजपा ने टिकट दी और उन्होंने भी घोड़ाडोंगरी विधानसभा से विजयश्री हासिल की ।
सज्जन सिंह उईके के समर्थक मानते हैं कि देखा जाए तो सज्जन सिंह उईके परिवार से तीसरी बार लगातार विजय श्री हासिल हुई है । यह उपलब्धि जिले में और कहीं नजर नहीं आती । जो चुनाव लड़ा हो और हमेशा जीता हो। इसलिए लोग मानते हैं कि महिला साथ ही आदिवासी और लोकप्रिय परिवार से आने वाली महिला को मंत्री पद दिया जाना चाहिए । लोग उम्मीद भी कर रहे हैं कि गंगा उइके मंत्री बन सकती हैं ।