भारत के इतिहास में प्रथम बार चमार अधिवेशन दिनांक में दिनांक 4 अप्रैल 2023 को आयोजित होने जा रहा

मूलचन्द मेधोनिया

प्रथम चमार अधिवेशन दिल्ली में मध्यप्रदेश के शहीद वीर मनीराम अहिरवार जी की शौर्य गाथा पर व्याख्यान देगें : संत रविदास कल्याण फाउंडेशन के पदाधिकारीगण

भोपाल। देश की राजधानी दिल्ली में भारत के इतिहास में प्रथम बार चमार अधिवेशन दिनांक में दिनांक 4 अप्रैल 2023 को ताल कटोरा स्टेडियम में आयोजित होने जा रहा है। अधिवेशन के राष्ट्रीय संयोजक माननीय श्री दिलबाग सिंह जी एवं चमार एकता मंच के राष्ट्रीय संस्थापक व अध्यक्ष माननीय श्री अमित सिंह जी के आमंत्रण पर सतगुरु संत रविदास कल्याण फाउंडेशन भारत के राष्ट्रीय पदाधिकारीगणों की टीम प्रथम चमार अधिवेशन दिल्ली पहुंच रही है।

जिसमें मध्यप्रदेश के प्रख्यात समाजसेवी और चर्मकारों को रोजी रोटी दिलाने के लिए निरंतर संघर्ष करने वाले माननीय श्री महेश नंदमेहर जी, बाबू जगजीवन राम समता कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय श्री गोपीलाल भारतीय जो कि ग्वालियर चंबल संभाग में सक्रिय आन्दोलन कर हक अधिकारों के लिए जाने जाते है। तथा मध्यप्रदेश के एकमात्र अनुसूचित जाति के वीर शहीद मनीराम अहिरवार जी के सुपौत्र मूलचन्द मेधोनिया जो कि स्वतंत्रता आंदोलन में अपने दादा जी के योगदान पर उन्हें सम्मान दिलाने के लिए संघर्षशील है। यह भी दिल्ली के राष्ट्रीय अधिवेशन में जायेगें, जो कि चमार अधिवेशन के माध्यम से वीर मनीराम अहिरवार जी को राष्ट्रीय शहीद का दर्जा दिलाने की मांग रखेंगे।

उल्लेखनीय है कि चमार जाति की 14 उपजातियां सम्पूर्ण देश के कोने-कोने में पाई जाती है। जो कि सभी अपने आराध्य सतगुरु संत शिरोमणि रविदास महाराज जी को मानने वाली है। जिनका गौरवशाली इतिहास रहा है। इस कौम के महान विद्वान, वैज्ञानिक, महापुरुष, संत, गुरु, महात्मा और महान क्रांतिकारी शहीद, सेनानियों सहित वीर योद्धा के इतिहास था। जिनके महापुरुषों का इतिहास के पन्नों में चालकों और जातिवाद मानने वाले लोगों ने इस वर्ग का इतिहास को छुपाने का काम किया है।

क्योंकि यह चमार कौम इतनी विशाल संख्या में है कि देश के काश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक है। तथा शहरों से लेकर जंगल और पहाड़ी क्षेत्र में में भी चमार कौम के लोग अपने जीवन यापन के लिए रहते है। जिनको हर मामले में दबाने का प्रयास किया गया है। लेकिन यह कौम वीरता और बहादुरी के लिए जानी जाती है। जिन्होंने हर कालखंड व समय-समय पर देश और दुनिया में अपने अदम्य साहस के साथ संघर्ष किया है।

इनकी बहुसंख्यक आबादी को देखते हुए जातिवाद, छुआछूत और भेद-भाव कायम कर इस जाति के इतिहास को ओछी मानसिकता के आधार पर दबाने का दुस्साहस किया। लेकिन चमार जाति हर काम व मेहनती कौम है जो कि अपनी पहचान की मोहताज नहीं है।

चमार अधिवेशन दिल्ली के अन्तरराष्ट्रीय अधिवेशन में हर प्रदेश के बुद्धिजीवियों, अफसरों, समाजसेवी, साहित्यकार और पत्रकार विशेष रूप से भाग लेने पहुंचे रहे है। मध्यप्रदेश से श्री महेश नंदमेहर जी के नेतृत्व में सतगुरु संत रविदास कल्याण फाउंडेशन भारत की एक टीम प्रदेश के विभिन्न जिलों से दिल्ली जा रहे है। जो कि चमार रेजिमेंट बहाल कराने का समर्थन करेंगे और मध्यप्रदेश के जिला नरसिंहपुर तहसील गाडरवारा के नगर चीचली मैं सन 19 42 के स्वतंत्रता आंदोलन में अंग्रेजी सेना से युद्ध लडा और

उन्हें परास्त कर गांव से खदेड़ने वाले चमार वीर शहीद मनीराम जी अहिरवार को शहीद दर्जा दिलाने के लिए वहां पर अपनी बात अधिवेशन के माध्यम से अपने व्याख्यान में रखेगें तथा भारत सरकार को अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में भी अमर शहीद वीर मनीराम अहिरवार जी के योगदान को प्रस्तावित करायेंगे। सतगुरु संत रविदास कल्याण फाउंडेशन भारत के राष्ट्रीय पदाधिकारीगणों ने विगत दिनों महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में जाकर चमार अधिवेशन दिल्ली जाने की अपील की है। पुनः देश और मध्यप्रदेश की संत रविदास वंशीय समाज के बुद्धिजीवियों से अनुरोध किया है कि अधिक से अधिक संख्या में प्रथम चमार अधिवेशन दिल्ली में पहुंचे।

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