सैकड़ो शोध पत्र व शहीद मनीराम जी के जीवन वृत्त पर शोधकर्ता डॉ. श्रीमती रेखा रानी राठौर का 30 मई को सेवा निवृत्ति*
इतिहासकार, साहित्यकार, वरिष्ठ समाजसेविका एवं कवि प्रोफेसर डॉ. श्रीमती आर. आर. राठौर वर्तमान में शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय पिपरिया में एसोसिएट प्रोफेसर इतिहास के पद से 30 मई 2023 को सेवा निवृत्त हो रही है. जिनका चयन सन 1991 में मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग में हुआ था. जिनकी पदस्थापना लखनादौन, गाडरवारा, पिपरिया, सोंसर पुनः पिपरिया में सेवारत और यहां से ही शासकीय सेवा से सासम्मान निवृत्त होगी.
डॉ. आर. आर. राठौर जी के 60 शोध पत्र प्रकाशित है. चार अन्तर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में शोध पत्र प्रस्तुत किये. तथा अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय नालंदा में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय शोध अनुसंधान कार्यक्रम में शोध पत्र प्रस्तुत किये. देश के अनेक राज्यों जैसे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, जम्मू कश्मीर, बिहार के राज्यों में राज्य स्तरीय शोध संगोष्ठियों में भाग लेकर शोध पत्र का प्रस्तुतिकरण.
देश में आयोजित विभिन्न राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों के आयोजनों में अनेक बार अध्यक्षता, मुख्य वक्ता, विशिष्ट वक्ता, बिषय विशेषज्ञ, संचालन, संयोजक, व संरक्षक जैसे भूमिका को शुशोभित किया.
डॉ. श्रीमती राठौर जी का सामाजिक क्षेत्र में योगदान सन 1917 से 2023 तक की संक्षिप्त उपलब्धियां जैसे राष्ट्रीय स्तर शिविर -2 , विश्वविद्यालय शिविर-2 , जिला स्तर शिविर-1 , श्रीमती राठौर जी राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी के तौर पर निम्नांकित अनुकरणीय कार्य किये जिनके माध्यम से राष्ट्रीय शिविर में 8 छात्राओं को चयन, राज्य स्तर पर 8 छात्राओं (वर्तमान में एक छात्रा शिविर में है) विश्वविद्यालय स्तर पर-2 छात्रा, जिला स्तर पर – 8 छात्राएँ, पूर्व गणतंत्र दिवस परेड में -6 छात्राओं को जिला स्तर पर चयनित कर बाघा बाडृर हेतु चयनित, यूनिसेफ के अन्तर्गत आगाज-2 छात्रा इंटरशिप हेतु चयन. एन. एस. एस. राज्य का सर्वोच्च पुरस्कार प्राप्त. व सी प्रमाण पत्र प्राप्त.
डॉ. राठौर जी ने अनेक जिला स्तरीय सम्मान जिलाधीश द्वारा प्रशास्ति पत्र, पचमढ़ी उत्सव-बो्सर, राज्य स्तर पर सम्मानित एवं एन. एस. एस. राज्य स्तर पुरस्कार उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव जी द्वारा प्राप्त. डॉ. रेखा रानी राठौर ने जो भी उपलब्धि/सामाजिक, शासकीय सेवा से प्राप्त की, वह सभी, उपलब्धि उन्होंने महाविद्यालय पिपरिया को समर्पित की.