teachers day गुरु अच्छा मिल जाये तो बच्चा महापुरुष भी बन सकता है: मुख्यमंत्री

मैं आज जो कुछ भी हूं,अपने गुरु के कारण हूं।
कुछ बड़ा करने का भाव मेरे अंदर भरा तो मेरे गुरु ने। उन्होंने मेरे दिमाग में भर दिया कि तुम अनंत शक्तियों के भंडार हो,तुम दुनिया में सब कुछ कर सकते हो,क्षमता सब में है।
अगर गुरु ठीक मिल जाएं तो बच्चे की क्षमता का प्रकटीकरण हो जाता है।गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवै नमः।।
आप सब मेरे भांजे भांजियों के गुरु हैं।
गुरुओं का आदर और सम्मान हो, समाज में इज्जत और मान रहे तभी वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन प्रभाव पूर्वक कर सकते हैं। गुरुजनों का सम्मान हमारी श्रद्धा है, संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। मेरे जीवन में शिक्षकों का विशेष सम्मानित स्थान रहा है। गांव में स्कूल में सबसे पहले गुरु के चरणों में सिर झुकाते थे। आप सभी शिक्षकों को प्रणाम करता हूं।

मेरा संकल्प है कि शिक्षकों के सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आने दूंगा। एक समय मध्यप्रदेश में ऐसा भी था, जब शिक्षकों के कई संवर्ग बना दिए गए थे, न शिक्षकों का सम्मान था न उन्हें उचित वेतन मिलता था, लेकिन हमने इसमें सुधार किया। शिक्षक नौकर नहीं, बल्कि निर्माता है। शिक्षक होना कोई नौकरी नहीं, बल्कि बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले गुरु होने का महत्वपूर्ण दायित्व है। आप बच्चों को जैसा गढ़ेंगे, देश का भविष्य वैसा ही बनेगा। आपके पास देश को बनाने का जिम्मा है। गांव के स्कूल में मेरे गुरुजी श्रद्धेय रतन चंद जैन जी ने ऐसी शिक्षा दी और प्रोत्साहित किया कि मेरा आत्मविश्वास बढ़ा और मैं अच्छा वक्ता बन सका। आज मैं जो कुछ भी हूं वह मेरे गुरुजनों की शिक्षा की देन है।

कुछ बड़ा करने का भाव अगर मेरे अंदर भरा तो मेरे गुरु ने। हर बच्चा अनंत शक्तियों का भंडार है।अगर अगर गुरु ठीक मिल जाए तो बच्चे की क्षमता का प्रकटीकरण हो जाता है और वह डॉक्टर राधाकृष्णन, बाबासाहेब अम्बेडकर जैसा बन जाता है। आज भी सरकारी स्कूलों में अनेक शिक्षक अभूतपूर्व कार्य कर रहे हैं। आप सबके प्रयास से ही हम शिक्षा के क्षेत्र में 17वें से 5वें स्थान और सरकारी स्कूलों में तीसरे नंबर पर आ गये हैं और मुझे विश्वास है कि हम जल्द ही पहले नंबर पर आ जायेंगे। शिक्षक का दायित्व शिक्षा देने के साथ कौशल विकास में निपुण करना भी है। शिक्षा के साथ कौशल विकास आवश्यक है। नई शिक्षा नीति में छठवीं कक्षा से ही कौशल विकास पर ध्यान दिया जाएगा। शिक्षक का विद्यार्थी प्रति महत्वपूर्ण दायित्व है उसे श्रेष्ठ नागरिक संस्कार से संस्कारित करना। बच्चों में देशभक्ति का भाव, राष्ट्र सेवा का संकल्प हो, तो देश के विकास को कोई रोक नहीं सकता।

जगद्गुरु आदि श्री शंकराचार्य जी महाराज कहते थे – सा विद्या या विमुक्तये। जो मनुष्य को संपूर्ण बनाए वह शिक्षा है। स्वामी विवेकानंद जी महाराज कहते थे शिक्षा वह है जो मनुष्य को मनुष्य दे। मेरे शिक्षक भाई-बहनों, सदैव उत्साह, धैर्य से भरे रहना और इसी संकल्प के साथ कार्य करते रहना कि हमें अपने विद्यार्थियों को गढ़ना है, ताकि ये भारत को गढ़कर दिखा सकें।

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