जाने : नारी क्यो करती है 16 श्रंगार
*”रामायण के अनुसार नारी गहने क्यों पहनती हैं ?”*
“कलयुग में बेटियों के लिए एक अच्छी सीख”
*भगवान राम ने धनुष तोड दिया था, सीताजी को सात फेरे लेने के लिए सजाया जा रहा था तो वह अपनी मां से प्रश्न पूछ बैठी, ‘‘माताश्री इतना श्रृंगार क्यों?’’*
*बेटी विवाह के समय वधू का 16 श्रृंगार करना आवश्यक है, क्योंकि श्रृंगार वर या वधू के लिए नहीं किया जाता, यह तो आर्यवर्त की संस्कृति का अभिन्न अंग है?’’ *उनकी माताश्री ने उत्तर दिया था।*
*अर्थात?’’ सीताजी ने पुनः पूछा,‘‘*इस मिस्सी का आर्यवर्त से क्या संबंध?’’*
*बेटी, मिस्सी धारण करने का अर्थ है कि आज से तुम्हें बहाना बनाना छोड़ना होगा।’’*
*और मेहंदी का अर्थ?’’*
*मेहंदी लगाने का अर्थ है कि जग में अपनी लाली तुम्हें बनाए रखनी होगी।’’*
*और काजल से यह आंखें काली क्यों कर दी?’’*
*बेटी! काजल लगाने का अर्थ है कि शील का जल आंखों में हमेशा धारण करना होगा अब से तुम्हें।’’*
*बिंदिया लगाने का अर्थ माताश्री?’’*
*बिंदिया का अर्थ है कि आज से तुम्हें शरारत को तिलांजलि देनी होगी और सूर्य की तरह प्रकाशमान रहना होगा।’’*
*यह नथ क्यों?’’*
*नथ का अर्थ है कि मन की नथ यानी किसी की बुराई आज के बाद नहीं करोगी, मन पर लगाम लगाना होगा।’’*
*और यह टीका?’’*
*पुत्री टीका यश का प्रतीक है, तुम्हें ऐसा कोई कर्म नहीं करना है जिससे पिता या पति का घर कलंकित हो, क्योंकि अब तुम दो घरों की प्रतिष्ठा हो।’’*
*और यह बंदनी क्यों?’’*
*” बंदनी का अर्थ है कि पति, सास ससुर आदि की सेवा करनी होगी।’’*
*पत्ती का अर्थ?’’*
*पत्ती का अर्थ है कि अपनी पत यानी लाज को बनाए रखना है, लाज ही स्त्री का वास्तविक गहना होता है।’’*
*कर्णफूल क्यों?’’*
*हे सीते! कर्णफूल का अर्थ है कि दूसरो की प्रशंसा सुनकर हमेशा प्रसन्न रहना होगा।’’*
*और इस हंसली से क्या तात्पर्य है?’’*
*हंसली का अर्थ है कि हमेशा हंसमुख रहना होगा सुख ही नहीं दुख में भी धैर्य से काम लेना।’’*
*मोहनलता क्यों?’’*
*मोहनमाला का अर्थ है कि सबका मन मोह लेने वाले कर्म करती रहना।’’*
*नौलखा हार और बाकी गहनों का अर्थ भी बता दो माताश्री?’’*
*पुत्री नौलखा हार का अर्थ है कि पति से सदा हार स्वीकारना सीखना होगा, कडे का अर्थ है कि कठोर बोलने का त्याग करना होगा, बांक का अर्थ है कि हमेशा सीधा-सादा जीवन व्यतीत करना होगा, छल्ले का अर्थ है कि अब किसी से छल नहीं करना, पायल का अर्थ है कि बूढी बडेरियों के पैर दबाना, उन्हें सम्मान देना क्योंकि उनके चरणों में ही सच्चा स्वर्ग है और अंगूठी का अर्थ है कि हमेशा छोटों को आशीर्वाद देते रहना।’’*
*माताश्री फिर मेरे अपने लिए क्या श्रंगार है?’’*
*बेटी आज के बाद तुम्हारा तो कोई अस्तित्व इस दुनिया में है ही नहीं, तुम तो अब से पति की परछाई हो, हमेशा उनके सुख-दुख में साथ रहना, वही तेरा श्रृंगार है और उनके आधे शरीर को तुम्हारी परछाई ही पूरा करेगी।’’*
*हे राम!’’ कहते हुए सीताजी मुस्करा दी। शायद इसलिए कि शादी के बाद पति का नाम भी मुख्य से नहीं ले सकेंगी
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