आजाद हिंद फौज के राधाकृष्ण सिंह का निधन। आजाद हिंद फौज के एक ओर सिपाही ने दुनिया को अलविदा कहा।
सारनी। आजाद हिंद फौज के सिपाही राधा कृष्ण सिंह शास्त्री ने भारत को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई ,जो आज बैतूल जिले के पहाड़पुर गांव में लगभग 55 वर्षो से निवास कर रहे थे। 105 साल की उम्र में आज 24 नवम्बर को उनका निधन हुआ। जिसकी सूचना हरिओम कुशवाहा भारतीय मजदूर संघ के पदाधिकारी द्वारा दी गई। निधन से पूर्व 13 अक्टूबर 25 को इस संवाददाता से मिलना हुआ। अंग्रेजी हुकुमत के साथ हुए युद्ध काल की घटना पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि देश को अंग्रेजों से
आजादी दिलाने की इस लड़ाई में भारत मां के सैकडों सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति दी है। इसके बाद भारत स्वतंत्र हुआ है। क्रांतिकारियों के अदम्य साहस के कारण अंग्रेजो ने भारत को स्वतंत्र करने का निर्णय लिया। चंद्रशेखर आजाद,रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला खां, भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव और सुभाषचंद्र बोस जैसे अनेक देश भक्त हुए है। जिन्होंने अपना जीवन समर्पित किया। उल्लेखनीय है कि शास्त्री जी का जन्म 01जनवरी 1920 को बर्मा (म्यांमार) ब्रम्हदेश के चौतगा में हुआ था। राधाकृष्ण सिंह शास्त्री के सहयोगी और उनके साथ अनेक कार्यक्रमों के साक्षी रहे अंबादास सूने ने बताया कि शास्त्री जी ने अक्टूबर 1943 में आजादी के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आव्हान पर आजाद हिंद फौज में भर्ती होकर भारत को स्वतंत्र कराने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। देश के अधिकांश भारत वासी दक्षिण पूर्व एशियाई देशो में थे। स्वतंत्रता आंदोलन में उनका महत्वपूर्ण अविस्मरणीय योगदान रहा है। आजाद हिंद फौज की स्थापना रासबिहारी बोस ने की और नेताजी सुभाषचंद्र बोस को कमान सौंपी। सुभाषचंद्र बोस ने देश की स्वतंत्रता के लिए भारत वासियो का आव्हान किया , फलस्वरूप
राधाकृष्ण सिंह और बडे भाई सीताराम, डीपी वर्मा के साथ अनेक भारतीय समुदाय के लोग आजाद हिंद फौज में भर्ती हुए। नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने नारा देते हुए कहा कि तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा। देश के बाहर रहते हुए नेताजी ने स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन में अतुलनीय योगदान दिया। लेकिन देश स्वतंत्र होने के बाद अनेक क्रांतिकारी और भारत मां के सपूतों को षडयंत्र पूर्वक भुलाने का प्रयास तत्कालीन सरकार ने किया । स्व शास्त्री ने 13 अक्टूबर 25 को विशेष भेंट में बताया कि पोपा हिल की लड़ाई 11 दिन और 11 रात चली जिसमें बडे भाई सीताराम मारे गए।आज देश स्वतंत्र है लेकिन जो सम्मान आजादी के बाद देश के महान सपूतों और नेताजी सुभाषचंद्र बोस को मिलना चाहिए था , वह सम्मान तत्कालीन सरकारों ने नहीं दिया।
वर्तमान समय में केंद्र और राज्य शासन दोनों की तरफ से उन्हें पेंशन मिल रही है जिससे वह अपना गुजर बसर कर रहे थे।स्व राधाकृष्ण सिंह शास्त्री अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर अंतिम सांस ली। शास्त्री जी के पारिवारिक सूत्रो से मिली जाकारी के अनुसार 25 नवम्बर 25 को पहाड़पुर गांव के मोक्षधाम में अंतिम संस्कार किया जाएगा।







