प्राकृतिक चिकित्सा और डिटॉक्स की अहमियत: शरीर की ‘सर्विसिंग’ भी है ज़रूरी – डॉ. नवीन वागद्रे, प्राकृतिक चिकित्सा विशेषज्ञ और लेखक
क्या आपने कभी सोचा है कि हमारी कार या बाइक की तरह हमारे शरीर को भी समय-समय पर सर्विसिंग की ज़रूरत होती है?
जिस तरह गाड़ी की परफॉर्मेंस बनाए रखने के लिए फिल्टर बदलना और ऑयल चेंज करवाना ज़रूरी होता है,
ठीक वैसे ही हमारे शरीर के अंदर भी ऐसी गंदगियाँ और अवांछित तत्व जमा होते रहते हैं
जो धीरे-धीरे थकान, अपच, चिड़चिड़ेपन और कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy) इसी बिंदु पर अहम भूमिका निभाती है।
यह कोई दवा या इंजेक्शन आधारित चिकित्सा नहीं,
बल्कि एक ऐसा विज्ञान है जिसमें प्रकृति के सहारे शरीर को अपने आप ही ठीक होने का मौका दिया जाता है।
प्रसिद्ध प्राकृतिक चिकित्सक और लेखक डॉ. नवीन वागद्रे के अनुसार,
हर इंसान को साल में कम से कम एक बार अपने शरीर का भीतरी डिटॉक्स ज़रूर कराना चाहिए।
उनका कहना है कि –
> “जब हमारी गाड़ियाँ धीमी चलने लगती हैं, तो हम उन्हें तुरंत सर्विस सेंटर ले जाते हैं।
लेकिन जब हमारा शरीर भारी, सुस्त और बीमार महसूस करता है, तो हम अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं।
जबकि शरीर भी एक सिस्टम है — और उसकी भी सफाई और विश्राम उतना ही ज़रूरी है।”
प्राकृतिक चिकित्सा में शरीर के अंगों की तुलना मशीन से:
डॉ. वागद्रे ने शरीर की तुलना एक मशीन से करते हुए कहा:
पाचन तंत्र = शरीर का इंजन
लिवर और किडनी = फिल्टर सिस्टम
फेफड़े और त्वचा = एक्सहॉस्ट / गंदगी निकालने वाले सिस्टम
मस्तिष्क = कंट्रोल यूनिट
जब हम गलत खानपान, तनाव और जीवनशैली के कारण इस सिस्टम पर लगातार दबाव डालते हैं,
तो शरीर के ये अंग धीरे-धीरे कमज़ोर और थकावट से भर जाते हैं।
डिटॉक्स कैसे करें?
डॉ. वागद्रे ने बताया कि डिटॉक्स की शुरुआत बेहद आसान तरीकों से की जा सकती है:
हफ्ते में एक दिन फलाहार या उपवास
गुनगुना नींबू पानी या आंवला जल से दिन की शुरुआत
मौसमी फल और सब्ज़ियों को भोजन में शामिल करना
प्राणायाम और धूप सेवन
स्क्रीन टाइम कम करना और भरपूर नींद लेना
🧘 7 दिन का प्राकृतिक कायाकल्प
जो लोग थोड़ा गहराई में जाकर शरीर का कायाकल्प करना चाहते हैं,
उनके लिए डॉ. वागद्रे की सलाह है —
कम से कम 7 दिन किसी अच्छे नैचुरोपैथी सेंटर में रहें, जहाँ:
मिट्टी, जल और धूप से उपचार किया जाता है
हल्के भोजन, योग, ध्यान और दिनचर्या से शरीर को नया जीवन मिलता है
कोई दवा नहीं दी जाती — केवल प्रकृति के नियमों को अपनाया जाता है
लेखन के माध्यम से जनजागरूकता
डॉ. वागद्रे ने इन विषयों पर दो पुस्तकें भी लिखी हैं:
1. “Seeds: Sehat aur Jeevan ka Sangam” – जिसमें बीजों के स्वास्थ्यवर्धक गुणों का विवरण है
2. “रामायण: सेहत का दिव्य ज्ञान” – जिसमें रामायण और भगवद गीता के संदर्भों से संयम, अनुशासन और प्राकृतिक चिकित्सा की शिक्षा दी गई है
दोनों ही पुस्तकें आज के समय में शरीर, मन और आत्मा के संतुलन के लिए एक सरल और वैज्ञानिक मार्गदर्शिका हैं।
📌 यदि आप भी तनाव, थकान, पाचन संबंधी समस्याएं या बार-बार बीमार पड़ने की समस्या से जूझ रहे हैं,
तो अब वक्त है शरीर की भीतरी सफाई का — यानी प्राकृतिक डिटॉक्स का।
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