6 किलोमीटर कच्चा रास्ता होने से 26 गांव हुए प्रभावित, ग्रामीणों ने सांसद को बताई समस्या

नवील वर्मा

बैतूल। ग्राम पंचायत कुंडी अंतर्गत आने वाले धपाड़ा मार्ग से तवा पुल कुसमरी से बांकाखोदरी होते हुए पतौवापूरा रेलवे पुलिया तक लगभग 6 किलोमीटर कच्चा मार्ग में कई सालों से सड़क का निर्माण कार्य नहीं कराया गया है। इस कारण ग्रामीणों को भारी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। क्षेत्र के ग्रामीणों ने सरपंच के नेतृत्व में सांसद दुर्गादास उईके को ज्ञापन सौंपकर तत्काल सड़क समस्या का निराकरण करने की मांग की है। ग्रामीणों ने

बताया कि लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत कुंडी में धपाड़ा मार्ग से तवा पुल, कुसमरी से बांकाखोदरी होते हुए पतौवापूरा रेलवे पुलिया तक लगभग 6 किलोमीटर कच्चा मार्ग है, इस मार्ग से लगभग 26 गांव जुड़े हुए हैं, सतपुडा टाइगर रिजर्व, चुरना बोरी इसी मार्ग से जुड़े हुए हैं। सड़क के बनने से जहां परेशानियों से निजात मिलेगी वहीं राजस्व में भी इजाफा होगा। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए उन्होंने जिला प्रशासन को कई बार अवगत कराया है लेकिन अभी तक

रास्तों की सुध नहीं ली गई। जिस कारण ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति रोष पैदा हो रहा है। बीते कई सालों से जिला प्रशासन द्वारा कोई सुध नहीं ली गई है। सड़क का निर्माण कार्य नहीं होने से छात्र छात्राओं को विद्यालय जाने सहित हर कार्य करने में परेशानी आ रही है। ज्ञापन सौंपने वालों में पंच नवील वर्मा, मनाबाई, छोटेलाल, गजेंद्र, प्रेमसिंह पटेल, ओंकार पटेल, रामकेश, मंगलेश, मीना वर्मा, अरविंद राठौर, सुनील राठौर, भारत, हरीशचंद्र वर्मा, मूलचंद वर्मा, बबलू, राधा, गोविंद, सरोज वर्मा सहित अनेक ग्रामीण शामिल थे।

आने-जाने में होती है परेशानी :

ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में सडक की खराब स्थिति और कीचड के चलते यहां के लोगों की जिंदगी शाम होते ही सिमट जाती है। अन्य मौसम में तो किसी तरह लोग आना जाना कर लेते हैं, लेकिन बरसात का मौसम उनके लिए सजा काटने जैसा होता है। कच्चे मार्ग से आवागमन करने में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पडता हैं। कच्चा मार्ग पथरीला होने के साथ-साथ छोटे-बडे गड्ढों में तब्दील हो गया है। विद्यार्थी,

गर्भवती महिलाएं, सरकारी कर्मचारियों के अलावा आमजन रोजाना परेशान होते हैं। इसके अलावा कोई दूसरा मार्ग भी न होने से मजबूरी में इसी मार्ग से आवागमन करने ग्रामीण मजबूर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बरसात के दिनों में बीमार होने वाले व्यक्ति का इलाज कराना उस वक्त मुश्किल हो जाता है जब उसे तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है। गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीज और प्रसव वाली महिलाओं को मुख्य मार्ग तक पहुंचाने में पसीना छूट जाता है।

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