कब बहेगी विकास की गंगा बैतूल जिले में
आशीष उघड़े
सारनी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा कब पूरी होगी ? विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन । सारनी — मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सारनी में 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल ईकाई को लगाने की घोषणा 10 वर्ष पूर्व की जो अभी तक धरातल पर ठोस कदम नहीं दिखाई दे रहे हैं। विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन के क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने ने बताया कि 660 मेगावाट ईकाई के लिए शासन ने जन सुनवाई के लिए कलेक्टर बैतुल को पत्र लिखा । पंचायत चुनावों के कारण कलेक्टर बैतुल ने जन सुनवाई के लिए 21 जून को पत्र जारी किया। संयुक्त कलेक्टर ने सारनी में 8 सितम्बर 22 को जन सुनवाई तय की , जिसमें पर्यावरण विभाग छिंदवाड़ा के अधिकारी भी उपस्थित थे। श्री सूने ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी में 1975 के पूर्व 312.5 मेगावाट का विधुत उत्पादन होता था। यह अमेरिका द्वारा निर्मित विद्युत गृह था,जिसमें राजस्थान सरकार का लाभ हानि में बराबर का शेयर रहा है।1975 में भारत हेवीइलेक्ट्रिकल लिमिटेड ने 830 मेगावाट की 4 ईकाई को पहली बार सारनी में स्थापित किया । जो लगभग 42 वर्षों से अधिक समय तक उत्पादन कर एवं अनेक कीर्तिमान स्थापित करने के बाद इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में सतपुड़ा ताप विद्युत गृह का नाम अंकित कर गई । ये चारो इकाईयां अब पूर्णतः बंद है। 2013 -14 से 250 मेगावाट की 2 ईकाईयों से 500 मेगावाट उत्पादन हो रहा है , ये इकाईयां भी अच्छा उत्पादन कर रही हैं । मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पहले दोरे में ही घोषणा की थी, ईकाई 1 से 5 के डिसमेन्टल के बाद 660 मेगावाट क्षमता की सुपर क्रिटिकल ईकाई स्थापित की जायेगी। सारनी में 660 मेगावाट की ईकाई लगने से आस पास के गांवों के वनवासियों बंधुओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।सारनीे से हो रहा पलायन नहीं होगा, साथ ही छोटे ठेकेदारों को भी काम मिलेगा। क्षेत्र के व्यापारीयो को भी व्यापार का अवसर मिलेगा। यूनियन के क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने ने बताया कि यूनियन ने 2017 में पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी एवं चचाई में 660-660 मेगावाट की ईकाई की स्थापना के लिए पत्र पाथाखेडा के फुटबाल मैदान में नगर पालिका के चुनावी सभा में दिया। फिर एक वर्ष बाद 2018 में विधानसभा चुनाव के पूर्व इसी फुटबाल मैदान की सभा में पत्र देकर स्मरण कराया ।मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा बैतूल में 2018 के विधानसभा चुनाव में भी 660 मेगावाट की ईकाई को सारनी में लगाने की बात दोहरायी ।इसके बाद यूनियन ने समय समय पर बैतूल हरदा हरसूद संसदीय क्षेत्र के सांसद दुर्गादास उइके, आमला सारनी विधायक डाँक्टर योगेश पंडागरे ओर कांग्रेस सरकार के मंत्रियों को भी ज्ञापन दिये।जिससे वीरान हो रहे सारनी, पाथाखेडा के साथ ही बैतुल जिले के अस्तित्व को बचाया जा सके।उल्लेखनीय है कि सांसद उइके जी एवं आमला सारनी विधायक डॉक्टर योगेश पंडाग्रे के प्रयास से कलेक्टर बैतुल ने कोयला खदानों के लिए गांधी ग्राम में भूमि अधिग्रहण करने की आवश्यक कार्यवाही भी की है। “सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी में कंपनी के पास एश डेम, सतपुड़ा जलाशय,आठ हजार एकड़ भूमि, आवास जैसी मूलभूत अनेक सुविधाएँ पहले से ही उपलब्ध है। जिसके कारण सारनी में 660 मेगावाट की दो ईकाई स्थापित की जा सकती है। 660 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होने से प्रदेश को सस्ती दर पर बिजली अनवरत मिलेगी।यहां ध्यान देने की बात है कि रबी की फसल के समय अधिकतम विधुत की डिमांड दिसम्बर 2021 मे लगभग 15 हजार 700 मेगावाट रही है जिसकी निरंतर आपूर्ति के लिए 660 मेगावाट की ईकाई को लगाना आवश्यक है।उल्लेखनीय है कि कोयला मंत्रालय ने कोल लिंकेज सतपुड़ा के लिए आवंटित किया है।नई तकनीक के कारण कोयले की खपत कम होगी।अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में भी 660 मेगावाट की ईकाई की स्थापना के लिए कैबिनेट ने 4 जनवरी 2022 को प्रशासकीय स्वीकृति दी है ,जो कि कोल इंडिया लिमिटेड के साथ लगाने के लिए एम ओ यू पर कंपनी ने साइन किये हैं। विधुत मंडल कर्मचारी यूनियन के क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने ने मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगातार पत्र लिखकर सारनी में 660 मेगावाट की ईकाई को कैबिनेट की मंजूरी शीघ्र दे कर अपनी घोषणा को पूरा करने की मांग कर रहे हैं।जिससे सारनी के अस्तित्व के साथ मध्यप्रदेश पावर जनरेटिग कंपनी लिमिटेड का भविष्य भी सुरक्षित होगा।अब पर्यावरण विभाग की जन सुनवाई में कोई बड़ी आपत्ति नहीं है। कयोंकि इस ईकाई के निर्माण में कंपनी को एक इन्च भी भूमि अधिग्रहण करने की जरूरत नहीं है। पर्यावरण को लेकर विशेष ध्यान देने के लिए मध्यप्रदेश पावर जनरेटिग कंपनी लिमिटेड को चिंता करनी होगी। जिससे 660 मेगावाट की ईकाई को कैबिनेट की मंजूरी शीघ्र मिल सके। यूनियन ने शासन से मांग की है कि इस ईकाई के निर्माण में मुख्य भूमिका मध्यप्रदेश पावर जनरेटिग कंपनी लिमिटेड की ही रहे। किसी भी स्थिती में ज्वाइंट प्रोजेक्ट नहीं बने।