प्राकृतिक चिकित्सा: आधुनिक रोगों का प्राकृतिक समाधान

डॉ नवीन वागद्रे प्राकृतिक चिकित्सक ( BNYS )

 

 

18 नवंबर 2025 को 8वाँ प्राकृतिक चिकित्सा दिवस (Naturopathy Day) पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। इस वर्ष की थीम “Losing Weight Naturally through Naturopathy” रखी गई है, जो आज के दौर में तेजी से बढ़ रहे मोटापे और उससे जुड़ी जीवनशैली बीमारियों के बीच बेहद प्रासंगिक मानी जा रही है। आधुनिक समय की भागदौड़, तनाव, रसायनयुक्त भोजन, फास्ट फूड, नींद की कमी और प्रकृति से दूरी ने मनुष्य के शरीर को रोगों का घर बना दिया है। मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हार्मोनल विकार और हृदय रोग अब हर घर की समस्या बन चुके हैं। ऐसे समय में प्राकृतिक चिकित्सा एक सरल, सुरक्षित और स्थायी समाधान के रूप में उभर रही है, जो शरीर को दबाने के बजाय उसकी मूल उपचार क्षमता को जागृत करती है।

प्राकृतिक चिकित्सा का आधार यह मान्यता है कि शरीर में स्वयं को ठीक करने की जन्मजात क्षमता मौजूद होती है। यदि व्यक्ति को सही आहार, सही वातावरण और प्राकृतिक जीवनचर्या प्राप्त हो जाए, तो शरीर धीरे-धीरे अपने असंतुलन को ठीक कर सकता है। यह पद्धति रोग के केवल लक्षणों को नहीं दबाती, बल्कि उसके मूल कारण—गलत आदतें, कमजोरी, विषाक्त तत्व, तनाव और प्रकृति से दूरी—को पहचानकर उन्हें संतुलित करती है। शरीर प्रकृति के पाँच तत्वों—पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश—से बना है। मिट्टी चिकित्सा गर्मी, सूजन और विषाक्त तत्वों को बाहर निकालकर शरीर को हल्का और शांत बनाती है। जल चिकित्सा— कटि स्नान, हॉट-कोल्ड फॉमेंटेशन, एनीमा—गहरी सफाई करते हुए ऊर्जा प्रदान करती है। अग्नि तत्व सूर्य स्नान, सात्त्विक भोजन और प्राकृतिक दिनचर्या के माध्यम से पाचन और मेटाबोलिज़्म को मजबूत करता है, और यही कारण है कि प्राकृतिक चिकित्सा वजन घटाने में अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। वायु तत्व प्राणायाम और गहरी श्वास के माध्यम से तनाव कम करता है, जिससे हार्मोन संतुलित होते हैं और फैट स्टोरेज की प्रवृत्ति घटती है। आकाश तत्व उपवास से जुड़ा है, जो पाचन को विश्राम देकर भीतर गहरे स्तर पर डिटॉक्स का कार्य करता है।

आज के समय में शरीर की “सर्विसिंग” यानी डिटॉक्स अनिवार्य हो गया है। सप्ताह में एक दिन फलाहार या उपवास, दिन की शुरुआत नींबू या आँवला युक्त गुनगुने पानी से करना, मौसमी फल-सब्ज़ियों का अधिक सेवन, हल्का रात का भोजन, योग–प्राणायाम, पर्याप्त नींद और कम स्क्रीन टाइम जैसे उपाय शरीर को स्वाभाविक रूप से स्वस्थ और हल्का बनाए रखते हैं। हम प्रकृति से जितना दूर होते हैं, उतना ही रोग बढ़ते हैं; और जितना करीब आते हैं, उतना स्वास्थ्य लौटता है। जंगल के जानवर बिना किसी दवा या चिकित्सक के भी स्वस्थ रहते हैं क्योंकि उनका जीवन प्रकृति के पूर्ण सामंजस्य में होता है। हमारे पूर्वज भी प्राकृतिक आहार, शुद्ध जल, नंगे पाँव चलना और सूर्य के संपर्क से स्वाभाविक रूप से स्वस्थ रहते थे।
नैचुरोपैथी केवल रोगियों की चिकित्सा नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक वैज्ञानिक तरीका है। यह बताती है कि स्वास्थ्य दवा से नहीं, बल्कि अनुशासन, प्रकृति और संतुलित जीवनशैली से प्राप्त होता है। आज जब आधुनिक चिकित्सा केवल लक्षणों का प्रबंधन कर रही है, प्राकृतिक चिकित्सा शरीर, मन और आत्मा तीनों को संतुलित कर दीर्घकालिक समाधान प्रदान करती है। इसी कारण इस वर्ष की थीम “Losing Weight Naturally through Naturopathy” न सिर्फ मोटापे के समाधान की दिशा दिखाती है,

बल्कि आधुनिक जीवनशैली से पीड़ित हर व्यक्ति के लिए प्रकृति की ओर लौटने का संदेश भी देती है। प्रकृति आधारित दिनचर्या शरीर को न केवल हल्का और ऊर्जावान बनाती है, बल्कि दीर्घायु और निरोग जीवन का मार्ग भी प्रशस्त करती है। इस नैचुरोपैथी दिवस 2025 पर यह संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण है कि स्वास्थ्य कोई दवा नहीं, बल्कि जीवन की एक प्राकृतिक आदत है—और जितना हम प्रकृति को अपनाएँगे, उतनी ही प्रकृति हमें स्वस्थ करेगी।