शासन द्वारा निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार किया जाए पैथोलॉजी लैब का संचालन : सीएमएचओ डॉ.रविकांत उइके
—-
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.रविकांत उड़के ने जिले में पैथोलॉजी लैब का संचालन शासन द्वारा निर्धारित गाइड लाइन के अनुसार किए जाने के निर्देश दिए है। उन्होंने बताया कि जिले में संचालित निजी अस्पतालों पर क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट का विनियमन उपचर्यागृह तथा रूजोपचार संबंधी स्थापनाएं, रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापनद्ध अधिनियम 1973 तथा नियम 1997, यथा संशोधित 2021 अनुसार किया जाता है। उक्त नियम के अनुसार यदि विकृति विज्ञान सुविधा तथा प्रयोगशाला सुविधा की व्यवस्थाएं की गई हैं तो एक रजिस्ट्रीकृत चिकित्सा व्यवसायी तथा तकनीशियन की सेवाएं उपलब्ध होना आवश्यक है।
पैथोलॉजी लैब संचालन हेतु शासन स्तर से निर्देशित किया गया है कि निजी पैथोलॉजी लैब का संचालन केवल ऐसे पैथोलॉजिस्ट द्वारा सुनिश्चित किया जाए जो मध्य प्रदेश आयुर्वेद परिषद अधिनियम 1987 की धारा 13 एवं 24 की आवश्यकता को पूर्ण करते हों। किसी भी निजी प्रयोगशाला का संचालन केवल टेक्नीशियन द्वारा किए जाने की अनुमति नहीं है। प्रयोगशाला तकनीशियन केवल इसी प्रयोगशाला में कार्य कर सकता है जो वास्तव में योग्यता धारी पैथोलॉजिस्ट द्वारा स्वयं संचालित या पर्यवेक्षित की जाती हो। योग्यता धारी निजी पैथोलॉजिस्ट स्वयं की प्रयोगशाला के अतिरिक्त केवल एक प्रयोगशाला में पैथोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं इस शर्त पर दे सकेंगे कि उक्त प्रयोगशाला में की जा रही जांच उनके सीधे सुपरविजन में की गई हो। जो पैथोलॉजिस्ट अपनी स्वयं की प्रयोगशाला संचालित नहीं करते हैं वह विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं जिले के दो प्रयोगशालाओं की अधिकतम सीमा तक ही देंगे।
सीएमएचओ डॉ.उइके ने कहा कि जिले में किसी भी पैथोलॉजी लैब व कलेक्शन सेंटर का संचालन यदि केवल टेक्नीशियन द्वारा किया जा रहा है, जिनमें प्रतिदिन पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट द्वारा विजिट कर उचित परीक्षण नहीं किया जा रहा है तो इससे संभव है कि आमजन को समुचित एवं गुणवत्तापूर्ण जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो रही हो। अतः पैथोलॉजी लैब व कलेक्शन सेंटर संचालकों को सूचित किया जाता है कि शीघ्र अतिशीघ्र शासन के नियमानुसार पैथोलॉजी लैब व कलेक्शन सेंटर का संचालन करना सुनिश्चित करें। अन्यथा उनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।