जनसेवा कल्याण समिति के आधार स्तम्भ एवं रक्तक्रान्ति के अग्रदूत

प्रमोद सूर्यवंशी

जनसेवा कल्याण समिति के आधार स्तम्भ एवं रक्तक्रान्ति के अग्रदूत रहे स्वर्गीय पंकज उसरेठे की तृतीय पुण्यतिथि पर उन्हें समाजसेवियों,पशुप्रेमियों एवं युवावर्ग द्वारा भावभरी श्रद्धांजलि प्रदान की गई। अपने जीवनकाल में खून वाले बाबा के नाम से प्रसिद्ध रहे स्वर्गीय पंकज का जीवन छोटा जरूर रहा परन्तु उनके द्वारा किये गए सेवाकार्यो और परोपकारी प्रयासो ने आमला में ही नही बल्कि जिलेभर में कई सारे आयाम रच दिए। उनके कार्यो की ही गूंज है जो तीन वर्ष बाद भी उनकी स्मृति को शहरवासी जीवंत रखे हुए है, इसका उदाहरण उनकी पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में देखने को मिला,जहां शहर भर के समाजसेवी एकत्र हुए एवं स्वर्गीय पंकज को नम आंखों से याद किया।
जनसेवा कल्याण समिति के राहुल धेण्डे व सागर चौहान ने बताया कि जनसेवा कल्याण समिति के आधार स्तम्भ या यूं कहें आमला में समाजसेवा के आधार,पंकज उसरेठे को दुनिया से गए आज तीन वर्ष हो गए,पर इस बात को मानने को आज भी मन नही करता,ऐसा लगता है मानो पंकज आसपास ही कहीं है।
अमित यादव व नितिन ठाकुर ने कहा कि वैसे दुनिया में एक मात्र चीज निश्चित है वो है मृत्यु, पर अनिश्चित है उसका समय, लेकिन पंकज भाई जैसे सेवाभावी व्यक्तित्व वाले शख्स को यूं अचानक जाते हुए देखते है तो लगता है कि भगवान से भी गलती हो जाती है।
श्रद्दांजलि सभा मे पंकज के व्यक्तित्व के बारे में बोलते हुए शिक्षक व समाजसेवी रामानंद बेले ने कहा कि यूं तो आज से तीन वर्ष पूर्व पंकज भाई का निधन नही हुआ था,अपितु सेवाभाव और समर्पण की एक पूरी धरोहर खत्म हो गई थी उस रोज…….
शहर के जानेमाने एडवोकेट व समाजसेवी राजेन्द्र उपाध्याय जी ने स्वर्गीय पंकज को फरिश्ता बताया एवं उनके जीवनकाल को आदर्श जीवनकाल की संज्ञा भी उन्होंने दी।
गोल्डी भाटिया,बंटी मिश्रा व यश कार्ले ने बताया कि हमें विश्वास है पंकज भाई हमारे आसपास ही कहीं है, उन्हें हम आज यही संदेश पहुँचाना चाहते है कि हम सब आपको बहुत मिस करते है पंकज भाई और हमे भरोसा है आप भी उस लोक से परोपकार और सेवा के कार्यो को निश्चित ही मिस करते होंगे।

ज्ञात हो कि छोटी उम्र में ही स्वर्गीय पंकज उसरेठे जिस भाव व अपनत्व से सामाजिक कार्यो में सक्रिय रहते थे,वे अपने आप मे ही प्रतिमान है। उनके नेतृत्व में जनसेवा कल्याण समिति जिले भर में अग्रणी संस्था के रूप में पहचानी गई, रक्तक्रान्ति का जो जज्बा उनके प्रयासों से युवावर्ग में पहुँचा उसकी महक आज शहर में आयोजित होने वाले प्रत्येक रक्तदान शिविर में महसूस होती है, पशुओं के प्रति उनकी संवेदना उन्हें देवत्व के समतुल्य रखती थी,वहीं जरूरतमंद या बीमारों की सेवा करना उनकी दिनचर्या का मुख्य हिस्सा था।

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