21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है और हर साल इसकी थीम अलग अलग होती है इस साल, 21 जून को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम स्वयं और समाज के लिए योग है।
योग क्या है?
योग को इन श्लोकों के माध्यम से समझ सकते है
षट्कर्मणा शोधनञ्च आसनेन भवेद्दृढम् ।
मुद्रया स्थिरता चैव प्रत्याहारेण धीरता ।। 10 ।।
प्राणायामाल्लाघवञ्चध्यानात् प्रत्यक्षमात्मनि ।
समाधिना च निर्लिप्तं मुक्तिरेवं न संशय
यह श्लोक “हठयोगप्रदीपिका” नामक ग्रंथ से लिया गया है।जिसका अर्थ है 1. षटकर्म अर्थात् छ: शुद्धि क्रियाओं के अभ्यास से शुद्धि, जैसे की धौती, बस्ती, नेति, नौली, त्राटक, कपालभाति यह योगिक शुद्धिकरण की छह क्रियाएँ हैं, जिनका उद्देश्य शरीर और मन की शुद्धि और संतुलन बनाए रखना है। ये क्रियाएँ हठयोग की महत्वपूर्ण प्रक्रियाएँ हैं।
2. आसनों के अभ्यास से मजबूती 3. मुद्राओं से स्थिरता, 4.प्रत्याहार से धैर्य ( धीरता ), 5.प्राणायाम से हल्कापन, 6.ध्यान से प्रत्यक्षीकरण ( साक्षात्कार ) और 7. समाधि से निर्लिप्तता ( मुक्ति ) की प्राप्ति होती है । इनमें किसी प्रकार का कोई सन्देह ( शक ) नहीं है ।
योग एक प्राचीन भारतीय प्रथा है, जो शरीर, मन, और आत्मा को संतुलित और सामंजस्यपूर्ण बनाने का कार्य करती है। यह शारीरिक आसन (असाना), श्वास नियंत्रण (प्राणायाम), ध्यान (ध्यान), और नैतिक सिद्धांतों (यम और नियम) के माध्यम से सम्पूर्ण स्वास्थ्य और भलाई को बढ़ावा देती है। योग का उद्देश्य व्यक्ति को अपनी आंतरिक शक्ति से जोड़ना और उसे संतुलित, शांत और स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है। विभिन्न योग गुरुओं ने व धर्म ग्रन्थों में योग को अलग अलग प्रकार से बताया गया है –
योगः चित्तवृत्तिनिरोधः ( पतञ्जलि योगसूत्र 1.2 )
अर्थ: योग चित्त की वृत्तियों का निरोध है। अर्थात, मन की विकारों को रोकना ही योग है।
समत्वं योग उच्यते ( भगवतगीता 2.48 )
अर्थ: समता को योग कहा जाता है। अर्थात, सफलता और असफलता दोनों में समान रहना ही योग है।
योगः कर्मसु कौशलम् ( भगवद्गीता 2.50)अर्थ: योग कर्मों में कौशल है। अर्थात, हर कर्म को उत्कृष्टता के साथ करना ही योग है
योग का महत्व
1. **शारीरिक स्वास्थ्य**: योग से शरीर में लचीलापन, शक्ति, और सहनशक्ति बढ़ती है। यह हृदय स्वास्थ्य को सुधारता है, रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है, और शारीरिक रोगों को कम करने में मदद करता है।
2. **मानसिक स्वास्थ्य**: योग मानसिक तनाव को कम करता है, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है, और मानसिक शांति प्रदान करता है। यह डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे मानसिक विकारों से राहत दिलाने में सहायक है।
3. **आध्यात्मिक विकास**: योग आत्म-जागरूकता और आत्म-साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करता है। यह व्यक्ति को उसकी आंतरिक शांति और समृद्धि की ओर ले जाता है।
4. **सामाजिक संतुलन**: योग से सामाजिक संतुलन और सामूहिक शांति को बढ़ावा मिलता है। यह व्यक्तियों के बीच सामंजस्य और समझ को प्रोत्साहित करता है।