भगवान को जो घर पसंद आता है वहां होती है बेटियां

16 राज्यों में पहुंचा अभियान -- समिति के सदस्य एवं अन्य सहयोगियों के माध्यम से

लाडो अभियान पहुंचा वेस्ट दिल्ली

बैतूल। देश के प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी की महत्वकांक्षी योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ को घर घर तक पहुंचाने के संकल्प को अनिल यादव लगातार प्रयास कर रहे हैं जिसके लिये उन्होंने बेटी के नाम घर की पहचान डिजिटल इंडिया विथ लाडो अभियान की शुरुआत की और कुछ समय बाद श्री यादव ने लाडो फाउंडेशन समिति का निर्माण किया इस अभियान के तहत समाज मैं बेटियों के सम्मान, पहचान और उसके रुतवे को बढ़ाने के लिए लगातार बेटियों के नाम की नेम प्लेट लगा रहे है और साथ ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ भारत के नारे कों बुलंद कर रहे है

, आज यह अभियान वेस्ट दिल्ली पहुंचा जहाँ निवासी हाउस नंबर 42 कुंवर सिंह नगर नांगलोई वेस्ट दिल्ली पिता सत्यनारायण यादव माता श्रीमती फुलिया देवी यादव की बेटी सुमन, नेहा,नैंसी की नेम प्लेट लगाई गई साथ ही पिता मनोज चौहान माता रविता चौहान की बेटी छवि और पिता राजू माता सुनीता की बेटी चंचल,तनिष्का के नाम की नेमप्लेट भेंट की गई गौर तलब है की यह अभियान बैतूल निवासी रोहित राय के सहयोग से दिल्ली पहुंचा इस मौके पर लाडो फाउंडेशन संस्थापक अनिल यादव ने बताया की बेटियों की पहचान और सम्मान दिलाने के लिए 7 वर्ष पहले अभियान शुरू किए गए,

अभियान को देश के 16 राज्यों में पहुंचा गया है।
आज यह अभियान देश में बेटियों का नाम रोशन कर रहा है। श्री यादव का प्रयास है कि देश के कोने कोने में उनका यह लाडो अभियान पहुंचे।
— बेटी के जन्म से की थी अभियान की शुरुआत —
अनिल यादव ने अपनी लाडो बेटी आयुषी के जन्मदिन 8 नवंबर 2015 को आयुषी के नाम की नेम्पलेट लगाकर जन्मदिन का तोहफा दिया था। अनिल ने 7 वर्ष पूर्व अपने पिता नारायण यादव से अपनी इच्छा सांझा करते हुए कहा था

कि क्यों ना बेटी आयुषी के नाम की घर के बाहर नेम पर लगाई जाए तो कैसा रहेगा। श्री यादव के पिता ने खुशी-खुशी हां कर दी और फिर शुरू हुई एक नई मुहिम जिस भी घर में बेटी होगी उस घर में बेटी के नाम की नेमप्लेट निशुल्क लगाई जाएगी। बेटी के नाम घर की पहचान इस पहल की प्रेरणा उनकी स्वयं की लाडो बेटी आयुषी से मिली और फिर यह पहल धीरे धीरे अभियान बन गई। नेमप्लेट देखकर आसपास के लोगों ने पूछा कि इस नेम प्लेट से क्या होगा

इससे क्या फायदा है फिर उन माता-पिता को समझाया गया कि पहले घर की पहचान बड़े बुजुर्गों के नाम से हुआ करती थी अब घर के बाहर बेटी की नेमप्लेट लगेगी तो घर तो घर की पहचान बेटी के नाम से होगी और इस अभियान से बेटियों के साथ-साथ बेटीयों के माता-पिता भी खुश है। अनिल की इस नई पहल की हर तरफ सराहना हो रही है चाहे जनप्रतिनिधि हो या प्रशासनिक अधिकारी या गणमान्य नागरिक समाज सेवी,आमजन भी इस पहल की प्रशंसा कर रहे हैं।

— 16 राज्यों में पहुंचा अभियान —
समिति के सदस्य एवं अन्य सहयोगियों के माध्यम से यह अभियान देश के 16 राज्यों में पहुंच गया जिसमे कर्नाटक,हरियाणा, राजस्थान,गुजरात, उड़ीसा, केरला, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, हिमाचल प्रदेश,उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड, असम एवं मध्य प्रदेश के 25 जिले और बैतूल जिले के लगभग 120 से अधिक गांव में लगभग 3200 घरों में बेटियों के नाम की नेम प्लेट लगाने का कार्य कर चुके है। श्री यादव स्वयं के खर्च पर यह नेम प्लेट लगाते हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा 22 जनवरी 2015 को हरियाणा के पानीपत से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत एवं शपथ दिलाई गई थी। कुछ महीनों बाद 8 नवंबर 2015 में उन्होंने बेटी के नाम से घर की पहचान अभियान की शुरुआत की।

यह अभियान निरंतर जारी है। श्री यादव के इस अभियान से गांव, शहर और राज्यों के लोग भी जुड़ रहे हैं। निश्चित ही बेटियों की पहचान और सम्मान का अभियान देश भर में अपना परचम लहराएगा और बैतूल जिले का नाम गौरवान्वित होगा लाडो फाउंडेशन टीम ने श्री राय परिवार का आभार व्यक्त किया जिनके सहयोग से यह अभियान दिल्ली पहुंचा ।

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