*हमारा नव वर्ष* हमारा हिंदू नव वर्ष का शुभागमन हो रहा है जिसका स्वागत हर्ष और उल्लास से होना ही चाहिए.
नववर्ष
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, नववर्ष ( तदनुसार 22 मार्च 2023) पर करणीय कार्य *
*व्यतिगत कार्य*
*1* – घर के सभी लोगो को हिंदी मास , पक्ष एवं तिथि की जानकारी देना एवं स्मरण कराना ।
*2* – विक्रम संवत के बारे में जानकारी देना ।
*3* – नववर्ष क्यों मानते है ? इसकी जानकारी देना ।
*4* – घर की साज सज्जा एवं मंदिर को साफ करना ।
*5* – द्वार पर रंगोली निर्माण , दरवाजे पर स्वस्तिक , ॐ , शुभ लाभ का लेखन ।
*6* -घर के बाहर *नववर्ष मंगलमय हो !* ऐसा हस्तलिखित या फ्लेक्स लगाए । अपने प्रतिष्ठान पर भी लगाए ।
*7* -घर के बालको को मंदिर या सेवा स्थान पर दर्शन हेतु ले जाये ।
*8* -घर पर विशिष्ठ पकवान वनवाये ।
*9* – अपने इष्ट मित्रो को नववर्ष का संदेश भेजे —- फेसबुक , ट्विटर , व्हाट्सएप्प, पत्र , मेल
एवं फोन करें ।
*संस्थागत कार्य*
*10* – सेवा के कार्य जैसे फल वितरण , वस्त्र वितरण आदि घर के बालको के हाथ से या संस्था के सदस्यों से करवाये ।
*11* -अपनी संस्था के सौजन्य से समाज मे एवं संस्था से जुड़े लोगों को नववर्ष के कुछ कार्यक्रम करवाये ।
जैसे -भारत माता आरती ,
अखंड रामचरित मानस, हनुमान चालीसा , भोज, पाठ ,कीर्तन ,कवि समेलन , निबंध लेखन ।
*12*- समाचार पत्र, tv में मंगल कामना संदेश आदि संस्था या व्यतिगत नाम से ।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व
1. इस दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2. सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3. प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन भी यही है।
4. यह शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन है।
5. सिक्खों के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस भी इसी दिन है।
6. स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमार्यम का संदेश दिया |
7. सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
8. विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।
9. युधिष्ठिर का राज्यभिषेक दिवस भी
10 संघ संस्थापक प.पू .डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन भी इस है।
11 महिर्षि गौतम जयंती भी इसी दिन आती है।
#भारतीय_नववर्ष_का_प्राकृतिक_महत्व
1.बसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंध से भरी होती है।
2. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3.नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
#भारतीय_नववर्ष_कैसे_मनाएँ :*
1.हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।
पत्रक बांटें , झंडे, बैनर….आदि लगावें ।
2.अपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3 .इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फहराएँ।
4.अपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
5. घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
6. इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
7 प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें । झंडी और फरियों से सज्जा करें ।
8 इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें
9 वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं, कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें ।
10 चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम ।
“भारतीय नववर्ष” हर्षोउल्लास के साथ मनाने के लिए “समाज को अवश्य प्रेरित” करें।
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नव वर्ष की अग्रिम बधाई
तेज हवाओं के साथ करीब 30 मिनट तक जोरदार बारिश हुई बेमौसम बारिश होने से जहां फसलों को नुकसान हुआ