आज अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर नारी की समाज मे सिथति को दर्शाती प्रवीण अग्रवाल की यह रचना

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर स्वरचित कुछ इन शब्दों के साथ महिलाओं को शुभकामनाएं
कौन कहता है कि अबला है नारी ।
हर बेटी अपने पापा की है परी ।।
अपने घर आंगन को महकाती है बेटियां ।
ससुराल की रौनक बन जाती है बेटियां ।।
पति पर हुकुम चलाती है बेटियां ।
मायके में भी रहता है अधिकार ।।
ससुराल में भी मिलता है अधिकार ।
चुनाव में भी रहता है 50% का अधिकार ।।
महिलाओं को कानून में भी मिलता है ये अधिकार ।
जो कह दे उसे बिना सबूत मानने का अधिकार ।।
बड़ी-बड़ी ऊंचाई छू रही हैं बेटियां ।
परीक्षा में अव्वल नंबरों से पास हो रही है बेटियां ।।
नौकरी में हर तरफ दिखाई देती हैं बेटियां ।
आसमान छू रही है आज बेटियां ।।
कौन कहता है कि अबला है बेटियां ।

आज तो अंतराष्ट्रीय स्तर पर छाई है बेटियां ।।

अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 💐

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