Fesla 16 वर्षीय अवयस्क बालिका का व्यपहरण कर उसके साथ बार-बार बलात्संग करने वाले आरोपी को 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं कुल 6000/- रूपये के जुर्माने से दंडित किया गया
माननीय विषेष न्यायाधीष, अनन्य विषेष न्यायालय, (पॉक्सो एक्ट) 2012 बैतूल (म.प्र.), ने 16 वर्षीया पीड़िता को बहला फुसलाकर व्यपहरण कर उसके साथ बार-बार बलात्कार करने वाले आरोपी विषाल पिता युवराज पटीले उम्र 23 वर्ष, निवासी चिचकुम, पोष्ट घाटलाड़की, जिला अमरावती (महाराष्ट्र) को धारा 363 भा.द.सं. में दोषी पाते हुये 04 वर्ष के कठोर कारावास एवं 1000 रूपये जुर्माना, धारा 366 भा.द.सं. मे दोषी पाते हुए 5 वर्ष का कठोर कारावास एवं 1000/- रूपये का जुर्माना, धारा 376(2)(एन) भा.द.सं. में दोषी पाते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं 2000 रूपये जुर्माना, धारा 376(2)(एफ) भा.द.सं. में दोषी पाते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास एवं 2000 रूपये जुर्माना से दंडित किया गया। प्रकरण में म.प्र. षासन की ओर से जिला अभियोजन अधिकारी/विषेष लोक अभियोजक श्री एस.पी.वर्मा एवं वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी/विषेष लोक अभियोजक श्री ओमप्रकाष सूर्यवंषी द्वारा पैरवी कार्य किया गया।
अभियोजन का मामला संक्षेप में इस प्रकार है कि पीड़िता के पिता ने दिनांक 23/02/2018 को पुलिस थाना गंज बैतूल मे इस आषय कि रिपोर्ट दर्ज करायी कि उसकी पुत्री(पीड़िता) कक्षा 11वी मे पढ़ती है जिसकी उम्र 16 वर्ष है। वह कल शाम 6ः00 बजे घर से ट्यूषन जाने का कहकर उसकी सहेली के साथ गई थी। देर रात तक वह घर वापस नही आयी तो आसपास पता किया पीड़िता नही मिली तो उसकी सहेली से पूछा तब उसने बतायी की पीड़िता विषाल पटीले के साथ घर जाने का कहकर चली गयी थी। विषाल पटीले पीड़िता को बहला फुसला कर ले गया है। पीड़िता के पिता के रिपोर्ट पर थाना गंज बैतूल मे गुम इंसान कायम कर आरोपी विषाल पटीले के विरूद्ध प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध कर विवेचना की गई। विवेचना के दौरान दिनांक 09/05/2019 को पीड़िता को दस्तयाब किया गया, उसके धारा 164 द.प्र.सं. व पुलिस कथन लेखबद्ध किये गये। जिसमे उसने बताया कि आरोपी विषाल पटीले ने बहला फुसलाकर शादी करने का लालच देकर पीड़िता के साथ जबरदस्ती बलात्कार किया। आवष्यक अनुसंधान पूर्णकर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र माननीय अनन्य विषेष न्यायालय(पॉक्सो एक्ट) बैतूल म.प्र. के समक्ष विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया। विचारण मे अभियोजन ने अपना मामला युक्तियुक्त संदेह से प्रमाणित किया जिसके आधार पर माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को दंडित किया गया।
प्रकरण के विचारण के दौरान अभियुक्त ने पीड़िता से विवाह कर लिया थाः-
प्रकरण के विचारण के दौरान जब पीड़िता 18 वर्ष की हो गई थी उसके उपरांत आरोपी ने पीड़िता से विवाह कर लिया था। जिसके परिणामस्वरूप पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म भी दिया है। प्रकरण के अंतिम तर्क एवं निर्णय दिनांक को अभियुक्त पीड़िता एवं अपने बच्चे को साथ मे लेकर न्यायालय मे आया था, एवं उसके द्वारा पीड़िता से शादी कर लिये जाने के आधार पर उसे दोषमुक्त किये जाने का निवेदन न्यायालय से किया था। परंतु न्यायालय ने अभियुक्त के निवेदन को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया कि अभियुक्त द्वारा पीड़िता से विवाह कर लेने के आधार पर अपराध को क्षम्य नही माना जा सकता है और आरोपी को दंडित किया।