Nalege जानिए क्यों नही लेती पत्नी पति का नाम
*जानिए क्यों नही लेती पत्नी पति का नाम*
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार पति को भगवन का दर्जा दिया जाता है। जिसकी हर आग्या या हर इच्छा को पूरा करना पत्नी का फर्ज होता है। और इतने पुजनिय होने के बाद अपने पति का नाम नहीं लेते इसके पीछे कई कारण हैं| एक तो जैसा की हम जानते हैं की प्रार्थना से सामान्य मानव भी देवतुल्य हो जाता है। तो ऐसा होता है की स्त्री जो खुद एक शक्ति का प्रतिक होती है जब अपने कर्म वचन और धर्म से अपने पति को पुजती है तो वो आम आदमी में कुछ दिव्य शक्ति आ जाती है।लेकिन आजकल की 21वीं सदी में लड़कियां अपने पति को उनके नाम से ही बुलाती हैं क्योंकि वे सब इन बातों पर विश्वास नहीं करती और अब तो लव मैरेज का प्रचालन है जिसमें लड़के लड़कियां इन सब पुराने रिती-रिवाज़ को नहीं मानतीं, आजकल की लडकियां अपने आप को पुरुषों से बहुत आगे समझती है और इसमें कोई संदेह नहीं है की आज की लडकियां वाकई में हर तरह से लड़कों के बराबर हैं और पुरुषों की तुलना में ज्यादा अधिक काम भी करती है। लेकिन जमाना कितना भी आगे निकल जाएं कुछ पुराने रिती-रिवाज़ हमेशा रहते हैं और उन्हें पालन भी किया जाता है। अब भी महिलाएं इन सभी परंपराओं का पालन करती है। परंपराओं के अनुसार हर रिवाज के पीछे कोई कारण जरुर होता है वहीं पति के नाम ना लेने के पीछे भी एक कारण हैं। आइए जानते है क्यों नहीं लेती पत्नीयां पति का नाम।
ये है पति का नाम न लेने के पीछे का कारण
हमारे शास्त्रों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास जी को भगवान का अवतार माना गया है। उनकी मुख से निकली हुई वाणी को गणेश जी ने स्कंद पुराण में भी लिखा है। स्कंद पुराण में लिखा है कि जिस घर में पतिव्रता स्त्री आती है, उस घर में रहने वाले लोगों का जीवन खुशियों से भर जाता है। अब आपको बताते हैं कि महिलाएं क्यों अपने पतियों को नाम से नहीं बुलाती। दरअसल, स्कंद पुराण में लिखा है कि पतियों को नाम से बुलाने पर उनकी उम्र घटने लगती है।इसलिए पतियों की लंबी आयु के लिए महिलाएं कभी भी उन्हें उनके नाम से संबोधित नहीं करती हैं। इसके अलावा स्कंद पुराण में यह भी लिखा हुआ है कि वहीं महिलाएं पतिव्रता स्त्री कहलाती हैं जो अपने पतियों के खाने के बाद ही भोजन करती हैं। यह भी कहा गया है जो महिलाएं अपने पतियों के सोने के बाद सोती हैं और सुबह पति के उठने से पहले उठ जाती हैं उन्हें ही पतिव्रता पत्नी का दर्जा दिया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक पातिव्रता स्त्री को कभी श्रृंगार नहीं करना चाहिए यदि उनका पति किसी कारणवश उनसे दूर रहता हो तो। इतना ही नहीं, एक पतिव्रता स्त्री को अपने पति से अनुमति लिए बिना किसी भी तीर्थ स्थान या उत्सव में नहीं जाना चाहिए।