कल घोड़ाडोंगरी,सिवनपाट,बिसनूर, घाटबिरोली में आयोजित होगी प्लांट क्लीनिक
18 अगस्त को क्लस्टर पंचायत बिसनूर, घाटबिरोली, सिवनपाट एवं घोड़ाडोंगरी में आयोजित होगी प्लांट क्लीनिक
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किसानों द्वारा बोई गई फसलों में होने वाले कीट एवं रोगों के लक्षण की जानकारी एवं उपचार की सलाह देने के लिए ग्राम पंचायत के क्लस्टर मुख्यालय पर कार्यक्रम निर्धारित किया गया है।
प्लांट क्लीनिक दल द्वारा 18 अगस्त को प्रथम पाली में प्रात: 10.30 बजे से विकासखंड प्रभातपट्टन की क्लस्टर ग्राम पंचायत बिसनूर में प्लांट क्लीनिक आयोजित की जाएगी, जिसमें ग्राम पंचायत बिसनूर, पचधार, जामठी सवासन, वलनी, रगडग़ांव, मोरंड, चारसी, गेहूंबारसा, बोरपेंड एवं रजापुर के किसान भाग लेंगे।
प्लांट क्लीनिक दल द्वारा 18 अगस्त को द्वितीय पाली में दोपहर 2.30 बजे से विकासखंड प्रभातपट्टन की क्लस्टर ग्राम पंचायत घाटबिरोली में प्लांट क्लीनिक आयोजित की जाएगी, जिसमें ग्राम पंचायत घाटबिरोली, खेड़ीदेवनाला, निम्बोटी, चिल्हाटी, खंबारा, चिचंडा, बिरोलझिल्पा, गाडरा एवं सोमगढ़ के किसान भाग लेंगे।
उक्त प्लांट क्लीनिक में कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आरडी बारपेटे, अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री सुरेन्द्र परहाते एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी सुश्री संगीता मवासे द्वारा किसानों की कीट-व्याधि के संबंध में समस्या का समाधान किया जाएगा।
प्लांट क्लीनिक दल द्वारा 18 अगस्त को प्रथम पाली में प्रात: 10.30 बजे से विकासखंड घोड़ाडोंगरी की क्लस्टर ग्राम पंचायत सिवनपाट में प्लांट क्लीनिक आयोजित की जाएगी, जिसमें ग्राम पंचायत सिवनपाट, बादलपुर, गोपीनाथपुर, डेयरी आमढाना, भोगईखापा एवं शक्तिगढ़ के किसान भाग लेंगे।
प्लांट क्लीनिक दल द्वारा 18 अगस्त को द्वितीय पाली में दोपहर 2.30 बजे से विकासखंड घोड़ाडोंगरी की क्लस्टर ग्राम पंचायत घोड़ाडोंगरी में प्लांट क्लीनिक आयोजित की जाएगी, जिसमें ग्राम पंचायत घोड़ाडोंगरी, रातामाटी, बांसपुर, कान्हावाड़ी, दूधावानी, फूलगोहान, पाढर एवं महेन्द्रवाड़ी के किसान भाग लेंगे।
उक्त प्लांट क्लीनिक में कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. संजय जैन, अनुविभागीय कृषि अधिकारी श्री दीपक सरियाम एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी आरके उइके द्वारा किसानों की कीट-व्याधि के संबंध में समस्या का समाधान किया जाएगा।
किसानों से अपील की गई है कि उक्त कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर कृषि वैज्ञानिकों से खरीफ फसलों में होने वाले रोग एवं कीट नियंत्रण के संबंध में सलाह लेकर लाभ लें। साथ ही फसल संबंधी कीट-व्याधि के नमूने लेकर अवश्य आएं, ताकि फसलों की समस्या का निराकरण किया जा सके।