“लाड़ली बहना” से भाव विव्हल मातृशक्ति : अंडरकरंट देख विरोधियों के उड़े होश
अनूठे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान : जन्मदिवस पर विशाल बत्रा का लेख
आज मध्य प्रदेश के अनूठे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (
Chief Minister Shivraj Singh Chouhan)
का जन्मदिन है। अनूठे इसीलिए कि कोई मुख्यमंत्री जनता से इतनी जीवंत रिश्तेदारी बना और निभा सकता है कि जनता उसे परिवार का सदस्य ही समझने लगे यह मुकाम राजनीति में सिर्फ शिवराज सिंह चौहान को ही हासिल हुआ है। खास तौर से प्रदेश की आधी आबादी अर्थात माता-बहने और बेटियों का तो उनसे विशेष लगाव जुड़ चुका है। यह लगाव कोई नाहक ही नहीं जुड़ गया अपितु इसके पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मातृशक्ति के प्रति असीमसंवेदनशीलता का भाव है। संवेदनशीलता के इस भाव से ओतप्रोत शिवराज ने प्रदेश की साढ़े चार करोड़ महिलाओं (माता-बहनों-बेटियों) का भरोसा जीतने के लिए मातृशक्ति के सम्मान के भाव को अपनी जिंदगी में उतारा है।
वे हर दिन-हर पल, हर कार्यक्रम-हर बैठक में नारी शक्ति को सम्मान देने के नए प्रतिमान स्थापित करने में लगे रहते हैं। उनके हर कार्यक्रम आदि शक्ति स्वरूपा कन्या पूजन से शुरू होते हैं। सभ्य परिवारों में बहन बेटियों के सामने आने पर घर के बड़े सिर पर हाथ रखते हैं। इस सभ्यता को शिवराज सिंह चौहान ने राजनीति में जीवंत किया है। उन्होंने हर कार्यक्रम और सार्वजनिक स्थान पर सामने आने वाली बहनों के सिर पर हाथ रखकर प्रदेश के मुखिया होने का धर्म निभाया है। वे अपनी धर्मपत्नी श्रीमती साधनासिंह को सार्वजनिक रूप से सदैव सम्मान देते दिखाई पड़े तो उनका यह आचरण प्रदेश की करोडों महिलाओं के अपने परिवार में सम्मान का आधार बना है। सार्वजनिक जीवन में जब वे कुछ भी नहीं थे तब भी वे अपनी सामर्थ्य अनुसार प्रतिवर्ष गरीब कन्याओं का विवाह कराया करते थे । 2005 में वे जब मुख्यमंत्री बने तो एक साल के भीतर ही 2006 में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना और अगले ही वर्ष 2007 में लाड़ली लक्ष्मी योजना के नाम से ऐसी दो योजनाएं लांच की
जिसने भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था को सामाजिक सरोकारों से प्रत्यक्ष जोड़ने की एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है। मध्यप्रदेश से शुरू हुई इन दो योजनाओं को बाद में कई राज्यों ने अपनाया जिसके कारण पूरे देश में ना केवल नारी शक्ति का सम्मान ही बढ़ा है अपितु जेंडर गैप भी कम हुआ है और स्त्री पुरुष के बीच में भेदभाव की घटनाओं में भी उल्लेखनीय कमी आई है। इन कारणों से शिवराज को मध्यप्रदेश की महिलाओं की ही नहीं अपितु देशभर की नारी शक्ति की दुआएं भी लगातार मिलती रही हैं।
“लाड़ली बहना” से भाव विव्हल मातृशक्ति : अंडरकरंट देख शिवराज विरोधियों के उड़े होश
“लाडली लक्ष्मी योजना” लांच करके उन्होंने प्रदेशभर की बेटियों को अपनी भांजियों का दर्जा देते हुए स्वयं को उनका मामा बताया तो यह केवल कोरा राजनीतिक स्टंट नहीं था अपितु उनके हृदय की कोमलता थी। उन्होंने कहा तो निभाया भी। प्रदेश की करोड़ों बेटियां का मुख्यमंत्री के लिए संबोधन “शिवराज मामा” ही होता है। किसी राजनेता पर छोटी-छोटी बच्चियों का इस कदर प्रगाढ़ विश्वास विश्व में कहीं और दिखाई नहीं पड़ता।
मैंने सार्वजनिक जीवन में कई लोगों को देखा और सुना है कि वे अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचाने के लिए अपनी बेटियों से पत्र लिखने को या ट्वीट करने को कहते हैं कि तुम “मामा” को पत्र लिखोगी तो वह अवश्य सुनेंगे। यह किसी राजनेता पर जन विश्वास की पराकाष्ठा है। आज मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ जनता का यह विश्वसनीय नेता अपना 64 वां जन्मदिन मना रहा है तो वे इस जन्मदिन को यादगार बनाने के लिए फिर एक ऐसी योजना लेकर आए हैं जो उन्हें मध्यप्रदेश के हर परिवार में उच्च प्रतिष्ठित कर देगी। भांजियों के कारण उनकी माताओं से बहन-भाई का रिश्ता तो शिवराज का पूर्व से ही बना हुआ था।
“लाडली बहना योजना” ने इस रिश्ते में अब नई गर्मजोशी पैदा कर दी है। कांग्रेस आरोप लगा रही है कि शिवराज इससे चुनावी फायदा उठाना चाहते हैं। तो इसमें हर्ज क्या है, जो शासन को जनता के अनुकूल बनाए, जनता के निकट ले आए उसे चुनावी फायदा तो अवश्य मिलना ही चाहिए। शिवराज के राज में मध्यप्रदेश की जनता पहली बार मुख्यमंत्री को अपने आसपास, अपने परिवार में महसूस करती है।
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कांग्रेस के आरोपों में उनका डर छुपा है। इस योजना की घोषणा से प्रदेश की आधी आबादी में ऐसा अंडरकरेंट आया है की विरोधियों के होश उड़ गए हैं। मैंने आज इस योजना की लांचिंग के प्रोग्राम को लाइव देखते हुए बैतूल जिले के छोटे से नगर घोड़ाडोंगरी में सैकड़ों महिलाओं के चेहरों के एक्सप्रेशन देखे। भोपाल से संबोधित कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से ज्यादा भाव विव्हल तो बहनें हो रही थी। मानों अपने लाड़ले भैया की बलाएं लेकर कह रहीं हो कि जुग जुग जियो शिवराज….।
(लेखक भाजपा के वरिष्ठ नेता और पत्रकार हैं)