राजस्थानी समाज द्वारा आज बासौदा पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया राजस्थानी अग्रवाल ब्राह्मण सहित अन्य समाज द्वारा बड़े ही विधि विधान से खेड़ापति माता मंदिर में माता रानी का पूजन कर यह पर्व मनाया गया इस पर्व पर राजस्थानी परंपरा अनुसार महिलाओं ने ओढ़नी ओढ़ कर माता रानी की पूजा करें और माता रानी की कथा सुनी पूजन करने पहुंची महिलाओं ने बताया कि
प्रतिवर्ष सामाजिक परंपरा के अनुसार यह पर्व मनाया जाता है जिसे शीतलाष्टमी भी कहते हैं इस पर्व के लिए 1 दिन पूर्व ही तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं बड़े ही विधि विधान से माता रानी का पूजन किया जाता है शीतला अष्टमी बासौदा पर्व के दिन घर में चूल्हा या गैस चूल्हा नहीं जलता 1 दिन पहले बनाए गए पकवानों का ही भोजन किया जाता है महिलाएं अपनी श्रद्धा अनुसार माता रानी के उपवास रखती हैं
ऐसे मनाते हैं शीतलाष्टमी पर्व, यह है महत्व
बासोड़ा के दिन शीतला माता का पूजन किया जाता है और इस दिन बासे खाने का भोग बनाया जाता है.
: हिंदू धर्म में होली सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार माना गया है. होली के बाद आती है शीतला अष्टमी, जिसे बासोड़ा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन शीतला माता का पूजन होता है और उन्हें बासी भोजन का भोग लगाया जाता है. हिंदू धर्म में बासोड़ा का खास महत्व है और कहते हैं कि इस दिन शीतला माता का पूजन करने से व्यक्ति को आरोग्य का वरदान मिलता है.
बासोड़ा का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है.
इस दिन, भक्त उपवास रखते हैं और देवी शीतला से गर्मी से होने वाली बीमारियों से बचाने के लिए प्रार्थना करते हैं और पिछली रात को तैयार भोजन का सेवन करते हैं।
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बासौदा पूजा
ऐसा माना जाता है कि शीतला माता चेचक, खसरा जैसी बीमारियों को ठीक करती है। परिवार अपने बच्चों को गर्मी से होने वाली इन बीमारियों से बचाने के लिए शीतला माता की पूजा करते हैं।
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