यह मुर्गा जो अपने औषधीय गुणवाला होने के कारण जाना जाता है

कड़कनाथ भारत की केवल ब्लैक मीट चिकन (बीएमसी) नस्ल है। यह मध्य प्रदेश का एक देशी पक्षी है, जिसे मुख्य रूप से भील और भिलाला के आदिवासी समुदायों द्वारा पाला जाता है। कड़कनाथ के आमतौर पर उपलब्ध रंग जेट-ब्लैक, पेंसिल और सुनहरे होते हैं।

पक्षी मुख्य रूप से स्थानीय पर्यावरण, रोग प्रतिरोधक क्षमता, स्वादिष्ट मांस की गुणवत्ता, बनावट और स्वाद के कारण आदिवासियों के बीच बहुत लोकप्रिय है। हालांकि इस नस्ल का मांस काला होता है, इसे न केवल विशिष्ट स्वाद का स्वादिष्ट व्यंजन माना जाता है, बल्कि औषधीय महत्व भी माना जाता है।
कड़कनाथ में प्रोटीन की मात्रा 25% से अधिक होती है जबकि सामान्य पक्षी में यह 18-20% के बीच होती है।

शोध से पता चला है कि इस प्रजाति में सफेद चिकन (13-25%) की तुलना में कम कोलेस्ट्रॉल (0.73-1.05%) होता है, जिसमें 18 अमीनो एसिड का उच्च स्तर होता है, जिनमें से 8 मानव के लिए आवश्यक और हार्मोन से भरपूर होते हैं।
विटामिन बी 1, बी 2, बी 6, बी 12, सी और ई, नियासिन, प्रोटीन, वसा, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, निकोटिनिक एसिड आदि। औषधीय
गुण:
कड़कनाथ का होम्योपैथी और एक विशेष तंत्रिका विकार में विशेष औषधीय महत्व है।

आदिवासी मनुष्यों में पुरानी बीमारी के इलाज में कड़कनाथ के रक्त का उपयोग करते हैं और इसके मांस को कामोत्तेजक (मेक में जोश भरने के लिए माना जाता है) के रूप में उपयोग करते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि वियाग्रा या सिल्डेनाफिल साइट्रेट मूल रूप से एक वैसोडिलेटर है जिसे हृदय में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए बनाया गया है और कड़कनाथ में मेलेनिन पिगमेंट भी यही करता है।

कड़कनाथ मुर्गे की महिलाओं की चर्चा, बाँझपन, मेनोक्सेनिक (असामान्य मासिक धर्म), अभ्यस्त गर्भपात के इलाज में एक विशेष प्रभावशीलता है।
अंडे:
अंडे विशेष रूप से वृद्ध लोगों और उच्च रक्तचाप के शिकार लोगों के लिए भी एक आदर्श पोषक तत्व हैं, क्योंकि कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अमीनो एसिड से भरपूर और अन्य प्रकार के पक्षियों की तुलना में अधिक होती है।

कड़कनाथ मुर्गे के अंडे गंभीर सिरदर्द, जन्म देने के बाद होने वाले सिरदर्द, बेहोशी, अस्थमा और नेफ्रैटिस (गुर्दे की तीव्र या पुरानी सूजन) के इलाज के लिए प्रभावी रूप से इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
कड़कनाथ मुर्गे के मांस के गुण:

उच्च पोषण, अन्य देशी मुर्गे की तुलना में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है।
यह प्रजाति अपने काले मांस जो उच्च गुणवत्ता, स्वादिष्ट एवं औषधीय गुणवाला होने के कारण जानी जाती है।
झाबुआ मध्यप्रदेश का आदिवासी बाहुल्य जिला है। इस जिले की पहचान यहां पर पाई जाने वाली मुर्गी की प्रजाति कड़कनाथ के कारण पूरे देश में है। कड़कनाथ कुक्कुट आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिला ही नहीं अपितु मध्यप्रदेश राज्य का गौरव है तथा वर्तमान में कड़कनाथ झाबुआ जिले की पहचान बना हुआ है। कड़कनाथ की उत्पति कठ्ठिवाड़ा, आलीराजपुर के जंगलों में हुई है। क्षेत्रीय भाषा में कड़कनाथ को कालामासी भी कहा जाता है क्योंकि इसका मॉस, चोंच, कलंगी, जुबान, टांगे, नाखून, चमड़ी इत्यादि काली होती है।

जो कि मिलेनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण होता है। जिससे हृदय व डायवटीज रोगियों के लिए उत्तम आहार है। इसका मॉस स्वादिष्ट व आसानी से पचने वाला होता है। इसकी इसी विशेषता के कारण बाजार में इसकी मांग काफी होती है एवं काफी ऊंची दरों पर विक्रय किया जाता है। कड़कनाथ की तीन प्रजातियाँ (जेट ब्लैक, पैन्सिल्ड, गोल्डन) पाई जाती है। जिसमें से जेट ब्लैक प्रजाति सबसे अधिक मात्रा में एवं गोल्डन प्रजाति सबसे कम मात्रा में पाई जाती है,

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नर कड़कनाथ का औसतन वजन 1.80 से 2.00 किलोग्राम तक होता है, मादा कड़कनाथ का औसतन वजन 1.25 से 1.50 किलोग्राम तक होता है, कड़कनाथ मादा प्रतिवर्ष 60 से 80 अण्डे देती है, इनके अण्डे मध्यम प्रकार के हल्के भूरे गुलाबी रंग के व वजन में 30 से 35 ग्राम के होते है।

कड़कनाथ मुर्गे की त्वचा, पंख, माँस, खून सभी काला होता है। सफेद चिकन के मुकाबले इसमें कॉलेस्ट्रोल का स्तर काफी कम होता है, फेट की मात्रा कम होने से हृदय और मधुमेह के रोगियों के लिये बहुत फायदेमंद माना जाता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता के साथ कम वसा, प्रोटीन से भरपूर, हृदय-श्वास और एनीमिक रोगी के लिए लाभकारी है। अन्य मुर्गे और उनके अंडों की तुलना में यह काफी मँहगा होता है। इसका एक अंडा लगभग 30 रूपये और मुर्गा 900 से 1100 रूपये प्रति किलो में मिलता है। जबकि मुर्गी की कीमत इससे भी तीन गुना होती है।

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