नवरात्रि का पाँचवा दिन: माँ स्कंदमाता की पूजा और श्वसन स्वास्थ्य

✍🏻 डॉ. नवीन वागद्रे

 

नवरात्रि के पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की आराधना की जाती है। वे करुणा और मातृत्व की देवी मानी जाती हैं। इस दिन का रंग हरा (Green) है, जो healing, growth और positivity का प्रतीक है। हरा रंग हमारे अनाहत चक्र यानी Heart Chakra से जुड़ा है, जो केवल हृदय ही नहीं बल्कि फेफड़ों और श्वसन तंत्र को भी संतुलित करता है। जब यह चक्र सक्रिय और संतुलित होता है तो हमारी breathing capacity बेहतर रहती है, शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती है और भावनात्मक संतुलन बना रहता है।

ग्रीन रंग और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
Heart Chakra मजबूत होने पर फेफड़ों से ऑक्सीजन पूरे शरीर में सही तरीके से पहुँचती है, immunity स्वाभाविक रूप से बेहतर होती है, stress hormones नियंत्रण में रहते हैं और asthma या breathlessness जैसी समस्याओं की संभावना कम होती है। वहीं यदि यह चक्र असंतुलित हो जाए तो अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, एलर्जिक खाँसी, पोस्ट-कोविड कमजोरी, बार-बार गले में संक्रमण और anxiety जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

उपवास में पोषण और फेफड़ों की देखभाल

नवरात्रि के उपवास में भी lungs और immunity को मजबूत किया जा सकता है। विटामिन-सी युक्त फल जैसे आंवला, अमरूद, संतरा और कीवी फेफड़ों के ऊतकों की मरम्मत करते हैं और immunity बढ़ाते हैं। तुलसी पत्ते अपने antimicrobial गुणों से बलगम को कम करते हैं। भीगे बादाम और अखरोट में मौजूद ओमेगा-3 fatty acids सूजन को घटाते हैं। उपवास खोलने पर हरी सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी और धनिया शरीर को detox करने में मदद करती हैं।

हाइड्रेशन और ऊर्जा

गुनगुना पानी, नींबू और शहद का मिश्रण mucus clearance और antibacterial प्रभाव देता है। तुलसी-अदरक या मुलैठी की चाय गले के संक्रमण से राहत देती है। नारियल पानी प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट के रूप में काम करता है। खजूर और भीगी किशमिश तुरंत ग्लूकोज और आयरन प्रदान करते हैं, वहीं अनार का जूस फेफड़ों को रिकवरी में मदद करता है।

प्राणायाम और योग का महत्व

श्वसन स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम और योग बेहद लाभकारी हैं। अनुलोम-विलोम ऑक्सीजन intake बढ़ाता है और नर्वस सिस्टम को संतुलित करता है। भस्त्रिका प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता को वैज्ञानिक रूप से बढ़ाने में सिद्ध है। भ्रामरी प्राणायाम anxiety घटाता है और श्वसन क्षमता को सुधारता है। योगासन जैसे भुजंगासन, मत्स्यासन और धनुरासन छाती को फैलाते हैं और फेफड़ों को साफ करते हैं।

जीवनशैली और नींद

प्रदूषण से बचाव के लिए बाहर जाते समय मास्क का प्रयोग करें। घर में तुलसी, एलोवेरा और स्नेक प्लांट जैसे पौधे लगाएँ, ये प्राकृतिक वायुशोधक हैं। प्रतिदिन 7–8 घंटे की नींद लें, यह immunity और फेफड़ों की रिकवरी के लिए जरूरी है। अजवाइन के बीजों की भाप लेना श्वसन मार्ग को साफ करता है।

आध्यात्मिक अभ्यास
माँ स्कंदमाता की पूजा से मन में करुणा और प्रेम आता है। इस दिन हरे वस्त्र पहनें, ध्यान में हृदय क्षेत्र पर हरी रोशनी की कल्पना करें, ‘ॐ स्कंदमातायै नमः’ मंत्र का जप करें और घर में तुलसी का पौधा अवश्य लगाएँ। यह आध्यात्मिक रूप से सकारात्मक होने के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी वायु शुद्ध करता है।

स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
इस दिन हम अस्थमा, एलर्जिक ब्रोंकाइटिस, पोस्ट-कोविड कमजोरी, बार-बार गले का संक्रमण, anxiety-induced breathlessness और seasonal flu जैसी समस्याओं पर ध्यान दे सकते हैं। इनके लिए संतुलित आहार, नियमित प्राणायाम, प्रदूषण से बचाव, पर्याप्त विश्राम और हाइड्रेशन जरूरी है।