दशहरे पर मूर्ति विसर्जन नही करना देवी का अपमान माना जाता है,जिसे धार्मिक रूप से अशुभ माना जाता है

दशहरे पर मूर्ति विसर्जन न करने पर नवरात्रि उत्सव का समापन नहीं होता और परंपराओं का पालन नहीं होता, जिससे धार्मिक रूप से अशुभ माना जाता है। विसर्जन देवी मां की मूर्ति को सम्मान सहित जल में प्रवाहित करने की प्रथा है जो नवरात्रि के बाद विजय दशमी के दिन होता है, और इसे देवी के कैलाश पर्वत पर वापस लौटने का प्रतीक माना जाता है। इस प्रथा के पालन से आध्यात्मिक संतुष्टि मिलती है, और इसका पालन न करना देवी का अपमान माना जाता है।  

 

नवरात्रि में दुर्गा विसर्जन कब करें?
हिन्दू धर्म के धार्मिक अनुष्ठानों को सफल बनाने के लिए नवरात्रि में दुर्गा विसर्जन दशमी तिथि को करना चाहिए। दशमी तिथि को ही विजयादशमी/दशहरा का पर्व मनाया जाता है। दशहरा के दिन ही दुर्गा पूजा के नौ दिनों की प्रक्रिया का अंत होता है। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन मां दुर्गा का विसर्जन करना शुभ माना जाता है।

दुर्गा विसर्जन की प्रक्रिया दशहरा के दिन होती है और इस दिन लोग दुर्गा माता की मूर्तियों को समुद्र, नदी या अन्य जलतट पर ले जाते हैं और उन्हें वहां विसर्जित करते हैं। 02 अक्टूबर 2025, दिन बृहस्पतिवार को दुर्गा विसर्जन किया जाएगा।