नवरात्रि का दूसरा दिन: लाल रंग का प्रभाव और शरीर के चक्र – डॉ. नवीन वागद्रे

 

नवरात्रि का दूसरा दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना को समर्पित है। वे तप, संयम और साधना की देवी मानी जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार उनकी आराधना से साधक के भीतर अनुशासन, धैर्य और आत्मबल का संचार होता है। इस दिन का शुभ रंग लाल है, जो केवल बाहरी आस्था का प्रतीक नहीं बल्कि हमारे शरीर और स्वास्थ्य से गहराई से जुड़ा हुआ है।

लाल रंग का सीधा संबंध मूलाधार चक्र से माना जाता है। यह चक्र हमारी जीवन ऊर्जा, स्थिरता और शारीरिक शक्ति का केंद्र है। जब मूलाधार चक्र संतुलित रहता है तो शरीर में स्फूर्ति, आत्मविश्वास और रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहती है। इसके विपरीत असंतुलन की स्थिति में कमजोरी, लो ब्लड प्रेशर, थकान, एनीमिया और बार-बार बीमार पड़ने जैसी समस्याएँ सामने आ सकती हैं। लाल रंग रक्त संचार को सक्रिय करता है और शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई को बेहतर बनाता है, इसलिए इस दिन इस रंग का विशेष महत्व है।

व्रत और स्वास्थ्य
डॉ. नवीन जी बताते हैं कि व्रत केवल भोजन न करने का नाम नहीं है बल्कि यह शरीर और मन को शुद्ध करने का एक प्राकृतिक अवसर है। व्रत को एक प्रकार का डिटॉक्स माना जाता है, जिसमें शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं और ऊर्जा का स्तर संतुलित रहता है। इस दौरान अधिक से अधिक पानी पीना बेहद ज़रूरी है क्योंकि यह शरीर को हाइड्रेट रखने के साथ-साथ टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है।

साथ ही हल्के और पचने में आसान फल जैसे अनार, सेब, पपीता, तरबूज, मौसमी और नारियल पानी शरीर में आवश्यक विटामिन और मिनरल्स की कमी पूरी करते हैं। भिगोए हुए बादाम, किशमिश और अंजीर न केवल तुरंत ऊर्जा देते हैं बल्कि रक्त की गुणवत्ता भी सुधारते हैं। गाजर और चुकंदर का रस हीमोग्लोबिन बढ़ाने और खून को शुद्ध करने में विशेष रूप से लाभकारी है।

आध्यात्मिक अभ्यास और मानसिक स्वास्थ्य
लाल रंग जहाँ शरीर में ऊर्जा और रक्त प्रवाह को सक्रिय करता है, वहीं मानसिक रूप से साहस, आत्मविश्वास और स्थिरता प्रदान करता है। इसलिए इस दिन ध्यान, प्राणायाम और देवी महात्म्य का पाठ करने से मन संयमित रहता है और आत्मशक्ति में वृद्धि होती है।

नवरात्रि का दूसरा दिन हमें यह सिखाता है कि व्रत का उद्देश्य केवल भूखे रहना नहीं बल्कि शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करना है। इस दिन लाल रंग का महत्व हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के रंग और हमारे शरीर के चक्र एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हैं। सही आहार, पर्याप्त पानी, प्राकृतिक फलों और रसों का सेवन तथा ध्यान-प्राणायाम का अभ्यास ही इस दिन की सबसे बड़ी साधना है। माँ ब्रह्मचारिणी का आशीर्वाद सभी को अनुशासन, आत्मबल और निरोगी जीवन प्रदान करे।