देवों के अनुसार परंपरागत व्यवस्था कैसे बनी गोंडी परंपरा अनुसार सात देव, छः देव, पंचदेव, चार देव ,दो देव इस प्रकार सभी देवों के अनुसार गोंडी समाज की व्यवस्था बताई गई ।गोंडी रीति रिवाज अनुसार किस प्रकार संस्कृति विभाजन हुआ है, उसे पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। पुनेमाचार्य दादा शंकर शाह इरपाचे ने बताया की मूल रूप से सात बहनों से गोंडी समाज की उत्पत्ति हुई। उन्होंने इस अवसर पर यह भी बताया कि हमें समान देवों के साथ विवाह
संबंध स्थापित नहीं करना चाहिए। यह समाज और संस्कृति के विरुद्ध हैं। इस अवसर पर जय कुपार सेवा समिति ग्राम पंचायत पांढरा के अध्यक्ष सुरवन सलाम ने बताया की 1 तारीख को इस विशाल कोयापूनेम दर्शन का समापन होगा। इस अवसर पर स्वास्थ्य विभाग की टीमों के द्वारा निशुल्क जांच शिविर का भी आयोजन किया गया है। इस अवसर पर घोड़ा डोंगरी विधायक गंगा सज्जन सिंह उइके ने बताया कि यह कार्यक्रम बहुत सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और बड़ा देव का आशीर्वाद एक समाज पर रहे ऐसी शुभकामनाएं प्रेषित की साथ ही आदिवासी गीत गाकर लोगों ने जमकर ठुमके भी लगाए। साथ ही इस अवसर पर समिति सदस्य दशरथ धुर्वे, मंसू लाल अहाके, श्री प्रदीप पंद्राम कुंवर सिंह सलाम,
शिवनारायण धुर्वे, सुरेश वाडि़वा,अभय देव इवने, डॉक्टर रमेश काकोड़िया, डॉ विशाल आहके, डॉक्टर अनीता आहाके, डॉक्टर कृष्णा मौसीक, मनोज धुर्वे सरपंच ग्राम जूवादी एवं भारी संख्या में सामाजिक बंधु मातृ पितृ शक्तियां उपस्थित रहे।