अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस विशेष पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर समाज की चुप्पी कब टूटेगी?

अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस विशेष
पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य पर समाज की चुप्पी कब टूटेगी?
डॉ. संदीप गोहे
साइक्लोजिस्ट और संस्थापक, एसआईएफ बैतूल

आज अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस है। पुरुष दिवस क्यों मनाया जाता है, इसकी आवश्यकता क्यों है आज हम इस पहलु पर पाठकों को बताएंगे। कहीं ना कहीं सभी वर्गों को अपने-अपने हक अधिकार दिए गए हैं लेकिन इसी बीच कुछ मामलों में पुरुष इन हक अधिकारों से अछूता है। पुरुषों के साथ किए गए दोयम व्यवहार के कारण वे मानसिक प्रताड़ना का शिकार हो रहे है। सेव इंडियन फैमिली एसआईएफ संस्था इन गंभीर मुद्दों को लेकर काम कर रही है। हर साल 19 नवंबर को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस उन पुरुषों के योगदान को सम्मान देने का अवसर है जो समाज, परिवार और कार्यक्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
समाज ने पुरुषों को हमेशा से ही भावनात्मक रूप से मजबूत और कठिनाइयों को सहने वाला माना है। उन्हें सिखाया गया है कि वे अपनी भावनाओं को व्यक्त न करें। लेकिन यह धारणा पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो रही है। आत्महत्या के आंकड़े बताते हैं कि 70 प्रतिशत से अधिक मामले पुरुषों से जुड़े होते हैं। कार्यस्थल का दबाव, पारिवारिक जिम्मेदारियां और सामाजिक अपेक्षाएं उन्हें मानसिक तनाव की ओर धकेलती हैं।
— इन कानून का दुरुपयोग से प्रताड़ित हो रहे पुरुष–
महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए कानून कभी-कभी पुरुषों के साथ अन्याय कर बैठते हैं। झूठे आरोपों में फंसे पुरुषों को न्याय मिलना मुश्किल हो जाता है। घरेलू हिंसा और तलाक जैसे मामलों में उनकी तकलीफों को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है। समाज को यह समझने की जरूरत है कि पुरुष भी संवेदनशील होते हैं और उन्हें भी समान सहानुभूति और सम्मान की आवश्यकता है। पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। समाज को हर व्यक्ति की समस्या को समान दृष्टि से देखने की जरूरत है।

एसआईएफ बैतूल एक संगठन के रूप में, पुरुषों के मानसिक और कानूनी समर्थन के लिए कार्यरत है। उनकी हेल्पलाइन (8882498498) पुरुषों को हर तरह की सहायता प्रदान कर रही है। संगठन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पुरुष अपनी समस्याओं को लेकर अकेला महसूस न करे। अब पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके अधिकारों पर खुलकर बात करने का समय आ गया है।

Get real time updates directly on you device, subscribe now.