मनमुटाव चरम पर , बिगड़ सकते हैं जीत के समीकरण

नरेन्द्र मालाकार

 

खण्डवा (संजय चौबे ) । मध्यप्रदेश में सत्ता का रास्ता निमाड़ – मालवा की 66 सीटों के नतीजों से तय होता रहा है । इसको लेकर चुनावी तानाबाना बुनने में लगी चिरपरिचित प्रतिद्वंदी भाजपा और कांग्रेस एक दूसरे को पटखनी देने का कोई मौका नहीं गवा रही है । दोनों दलों का न केवल फोकस इन्ही 66 सीटों पर है वरन चुनावी जमावट की रेस में वे एक – दूसरे से आगे निकलने की जी – तोड़ कवायदों में जुटी हुई हैं ।

निमाड़ में बुरहानपुर , खण्डवा , खरगोन और बड़वानी जिले आते हैं । इनमें चुनाव दर चुनाव कांग्रेस के लिए खुशी के कम और गम के ज्यादा मौके आए हैं । बीते चुनाव के नतीजे भाजपा के लिए जोर का झटका जोर से ही लगे कि तर्ज पर आए थे । निमाड़ – मालवा में भाजपा से ज्यादा सीटों पर विजयी परचम फहरा कर कांग्रेस ने सत्ता की चाबी हासिल की थी । सत्ता की मलाई कांग्रेस 15 माह ही खा पाई और

दलबदल के तूफान ने उसे सत्ता से बेदखल कर दिया । एक बार फिर विधानसभा के महासंग्राम के लिए भाजपा – कांग्रेस चुनावी चौसर की जमावट में दिन दूनी रात चौगुनी गति से जुटी हुई है ।
निमाड़ के खण्डवा जिले की बात करे तो भाजपा के गढ़ बन चुके इस जिले में गत चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के वोट बैंक में न केवल सेंध लगाई बल्कि मांधाता सीट पर विजयी परचम फहराकर जिले में जीत का खाता भी खोल दिया । इस सीट पर निमाड़ के क्षत्रप अरुण यादव समर्थक नारायण पटेल ने कांग्रेस

के लिए विजयी द्वार खोले थे । प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी मगर 15 माह बाद ही दलबदल के तूफान ने उपचुनाव करा दिया जिसमें भाजपा अंक गणित के जरिए फिर सत्ता में काबिज हो गई । इसी तरह की कहानी निमाड़ के ही बुरहानपुर जिले में भी दोहराई गई । यहां नेपानगर विधानसभा सीट से अरुण यादव की समर्थक मानी जाने वाली सुमित्रा कासडेकर ने आम चुनाव में कांग्रेस के लिए जीत दर्ज की फिर कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम और उपचुनाव में भाजपा

का विजयी परचम फहरा दिया । इस तरह सियासी उठापटक के चलते शाह और मात का खेल चलता रहा ।
खण्डवा जिले की ही पंधाना विधानसभा सीट से गत विधानसभा चुनाव हारी अरुण यादव समर्थक छाया मोरे ने भी हालही में कांग्रेस को अलविदा कह दिया है । उन्होंने पंधाना और छैगांव माखन ब्लाक में पार्टी द्वारा की गई ब्लाक अध्यक्षो की नियुक्ति पर एतराज जताकर प्रदेश संगठन से इनकी शिकायत की थी जिसमे उनकी चुनावी हार के लिए नवनियुक्तो

को जिम्मेदार ठहराया गया था ! उनकी मांग को अनसुना कर दिए जाने से नाराज छाया मोरे ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया । इसी तरह खण्डवा जिले की हरसूद विधानसभा के नेता मुकेश दरबार ने भी कांग्रेस छोड़ दी है ! जिले में जहाँ एक ओर जिला कांग्रेस अध्यक्ष अजय ओझा जिले का दौरा कर कार्यकताओ को बैठके लेकर सांगठनिक मजबूती की कवायदे कर रहे है वही दूसरी ओर ताजा घटनाक्रम जिला कांग्रेस को झटका देने वाला साबित हो रहा है ।

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