मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बताया गीता का सार

 

भोपाल में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के सुख शांति भवन के नवनिर्मित अनुभूति सभागार का लोकार्पण किया।

इस दौरान अति. मुख्य प्रशासिका ब्रह्मकुमारीज् आदरणीय जयंती दीदी जी व अति. महासचिव आदरणीय भ्राता बृजमोहन जी और साथी श्री विश्वास सारंग जी एवं श्री रामेश्वर शर्मा जी एवं अन्य गणमान्य साथी उपस्थित रहे।

यह अद्भुत स्थान है। हम सब जानते हैं कि शांति तो मन के अंदर से आती है, जिसे बाहर का शोर भी प्रभावित नहीं कर सकता है। यहां आकर मन को अपार शांति की अनुभूति हुई। बचपन में मैंने श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ा, पहली बार में कुछ समझ में नहीं आया और फिर पढ़ने के बाद यह समझ में आया कि कर्म ही सब कुछ है।

इस दुनिया में कर्म किए बिना कोई नहीं रह सकता। लेकिन मनुष्य तुम कर्म करो लेकिन फल की इच्छा मत करो।

युद्ध के मैदान में जब अर्जुन ने अपनों को देखा,तो श्रीकृष्ण से कहा कि जिन्होंने मुझे गोद में खिलाया उन्हें कैसे मार सकता हूं! भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि आत्मा तो अजर,अमर,अविनाशी है, इसको कोई नहीं मार सकता है,लेकिन जो अन्याय करता है,उसको मारना धर्म है।

भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो शत्रु के प्रति भी मित्र का भाव रखे, मान और अपमान में भी सम रहे, निंदा और स्तुति में भी समान रहें, हर स्थिति में संतुष्ट रहे, अनिकेत रहे, ऐसा भक्त मुझे प्रिय है। गीता के सार को ग्रहण कर लिया, तो जीवन धन्य हो जाता है।

जो काम आप कर रहे हैं वह लोगों की सुख शांति के लिए, सही दिशा में अपने देश और संसार ले जाने के लिए परम आवश्यक है। आज नहीं तो कल यह होगा। भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को अपना भारत शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन कराएगा। #Bhopal

Get real time updates directly on you device, subscribe now.